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गडचिरोली से बड़ी खबर! पीरियड हट्स अब ‘महिला विसावा केंद्र’।

आदिवासी महिलाओंके लिए गडचिरोली जिला परिषद की क्रन्तिकारी पहल।

गडचिरोली – महाराष्ट्र का सबसे पिछड़ा जिला! इन दिनों एक अनोखी पहल का गवाह बन रहा है। एक ऐसी पहल, जो आदिवासी महिलाओंके लिए  ना सिर्फ उनके सम्मान और  सुरक्षा से जुडी आनंददायी  खबर है, बल्कि  सदियोंसे जारी एक प्रथा में बेहतरीन बदलाव का कारण बन रही है।  कच्ची झोपड़ियोंवाले ‘पीरियड हट्स ‘अर्थात कुर्मा घरोंके स्थानपर सुरक्षा और सुविधा युक्त नए पक्के महिला विसावा केंद्र का निर्माण इस बदलाव की वजह बन रही है।  केंद्र के नीति आयोग ने हाल ही में एक ट्वीट कर इस पहल की प्रशंसा की है।
डॉ. नम्रता मिश्रा तिवारी
करीब ३८ प्रतिशत आदिवासी आबादी वाले गडचिरोली जिलेमें अनुमानित ८९ प्रतिशत आबादी ग्रामीण इलाकोंमें बसती है जो प्रायः घने जंगल, पहाड़ियां और नदियोंसे घिरे हैं।  ये बस्तियां जंगली पशुओं के आवागमन के लिए तथा नक्सली गतिविधियोंके  लिए  भी विख्यात हैं। ऐसे में  सदियोंसे चली आ रही एक प्रथा सदा ही चिंता की वजह रही  है।
माड़िया आदिवासी बस्तियोंमें  मासिक स्त्राव के उन दिनोंके दौरान सम्बंधित महिला को घर और गाँव से बाहर   अनिवार्यतः एक झोपडी में रहने की प्रथा है।  इस कच्ची झोपडी को ‘कुर्मा घर’ कहा जाता है जहां बिजली और अच्छी सड़क जैसी अत्यावश्यक  सुविधाएं  तो छोड़िए पेय जल, प्रसाधन गृह या  शौचालय  जैसी बेहद  अनिवार्य जरूरतें भी उपलब्ध नहीं होती।
गडचिरोली पीरियड हट्स: बैकग्राउंडर
मासिक स्त्राव के दौरान महिलाओंको स्वयं की स्वच्छता का ध्यान रखना  बेहद जरूरी होता है। लेकिन कुर्मा घर की  परिस्थितियोंमें उनके  आरोग्य के लिए खतरा  बना रहता है।  इतना ही नहीं, इस तरह की झोपड़ियोंमें उनकी सुरक्षा के लिहाज से जरूरी दरवाजे तक नदारद होते हैं, ऐसा कई गाँवोंमें पाया गया है।  ये कच्ची झोपड़ियाँ अमूमन गाँव के बाहर जंगलोंके समीप होनेसे प्रायः कीड़े, आवारा या जंगली पशु आदि का भय लगा ही रहता है।  इन कच्ची झोपड़ियों के छत से धुप और बारिश का पानी भी महिलाओंकी परेशानिओंमें वृद्धि करते हैं। इन स्थितियोंमें कीडोंके दंश, सांप या जानवरोंद्वारा काटने से लेकर हाइपोथर्मिया अर्थात अल्पउष्णता की बिमारी तक कई परेशानियोंसे महिलाओंको झूझना होता है।
गडचिरोली
ऐसे होते थे गडचिरोली पीरियड हट्स अर्थात कुर्मा घर। (image: Zilla Parishad, Gadchiroli)
गडचिरोली
अब बन रहे हैं महिला विसावा केंद्र। (image: Zilla Parishad, Gadchiroli)
वर्ष २०१८ में लिए गए सर्वे के नतीजे चौंकाने वाले थे।  इनके अनुसार मात्र ३ प्रतिशत कुर्मा घरोंमें बिजली सुविधा थी, ४ प्रतिशत स्थानोंमें शौचालय, १४ प्रतिशत कुर्मा घरोंमें स्नान घर, २१ प्रतिशत कुर्मा घरोंमे सोने के लिए बिस्तर  और ३० प्रतिशत कुर्मा घरोंमें पेयजल व्यवस्था थी। सर्वे के दौरान ७३ प्रतिशत महिलायें और लडकियां इस कुर्मा घर प्रथा को ही समाप्त कर देना चाहतीं थीं।
‘उड़ान’ योजना
गडचिरोली
निर्माणाधीन विसावा केंद्र। (image: Zilla Parishad, Gadchiroli)
‘उड़ान’ मासिक स्त्राव स्वच्छता व्यवस्थापन तथा कुर्मा घर उन्मूलन कार्यक्रम का आरम्भ वर्ष २०१८ में तत्कालीन जिलाधिकारी श्री  शेखर सिंह तथा जिला परिषद् सी ई ओ श्री  विजयकुमार राठोड के द्वारा ‘यूनिसेफ’ महाराष्ट्र द्वारा तकनिकी सहायता के तहत किया गया। वर्तमान जिलाधिकारी श्री संजय मीणा और  जिला परिषद् सी ई ओ श्री  कुमार आशीर्वाद द्वारा इस योजना के अंतर्गत जिलेभरमें आदिवासी रिहायशी इलाकोंके करीब महिला विसावा केंन्द्रोंका तेजीसे निर्माण किया जा रहा है।
इन महिला विसावा केंद्रोंमें (विमेन्स रेस्ट सेंटर)  सुरक्षित पक्के निर्माण के भीतर शौचालय, स्नान घर, हाथ धोने हेतु साबुन और नलोंद्वारा बहते पानी की व्यवस्था, बेड सुविधा, रसोई घर, लायब्रेरी, सिलाई मशीन, किचन गार्डन आदी  भी देखे जा सकते हैं।
गडचिरोली
ऐसा है महिला विसावा केंद्र। (image: Zilla Parishad, Gadchiroli)
अब तक जिला नियोजन विकास कमिटी (डी पी डी सी) के निधि से  २३ महिला विसवा केंद्रोंका निर्माण प्रगति पथपर है।  केंद्र के नीति आयोग ने ट्वीट कर इस पहल की प्रशंसा की है। देश भर से इस पहल की प्रशंसा हुई है। इस के लिए गडचिरोली जिलाधिकारी श्री संजय मीणा, आय ए एस तथा जिला परिषद गडचिरोली के सी ई ओ श्री कुमार आशीर्वाद, आय ए एस बधाई के पात्र हैं।
गडचिरोली
नीति आयोग का वह ट्वीट। २३ मई २०२२। (image: Twitter)
केंद्र सरकार की निधि से वर्तमान आर्थिक वर्ष में और २८ महिला विसावा केंद्रोंका निर्माण होगा।
अन्य पचास महिला विसावा केंन्द्रों  के प्रस्ताव  अनुमति प्रक्रिया  के तहत विचाराधीन हैं।
गडचिरोली जिलेमें विशेषतः दुर्गम स्थानके आदिवासी गांवोंमें अगले दो वर्षोंमें करीब सौ नए पक्के महिला विसावा केंद्र बनाये जाएंगे।
  इनमें २३ स्थानोंपर नए पक्के महिला विसावा केंद्र अभी निर्माणाधीन हैं।
आदिवासी परिवारोंमें और विशेषतः महिलाओंमें सुरक्षा और आत्मविश्वास की भावना बढ़ानेवाले इस कदम से गडचिरोली जिलेकी अनुमानित ६४ हजार नवयुवतियां भी लाभान्वित होंगी।

Editor India Input

PhD in Political Science, Thesis & Research Papers on Social Media, A keen watcher and analyst on GeoPolitics, Writer & Media Professional. Me & My Team form a support team for Industry, Biz people & Start up entrepreneurs. Building an eco system.

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