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कहां से आ रही हैं, ये बांस की राखियां? बात बी आर टी सी की।
सादगी और अनोखापन लिए ये राखियां इन दिनों चर्चा में हैं।

बांस की राखियां हर प्लास्टीक, रासायनिक मटेरियल या चायनीज राखियोंपर भारी हैं! भैय्या, भाऊ साहेब, दादासाहेब जैसे संबोधनोंसे प्यारे भैया को पुकारती ये राखियां देखकर यही सवाल पूछने का मन करता है, कि ये कहां से आरही हैं? है ना? तो पढ़िए।
(इंडिया इनपुट डेस्क)
खूबसूरत बांबू की राखियों का घर है, बी आर टी सी, चंद्रपूर का बांबू संशोधन तथा प्रशिक्षण केंद्र (Bamboo Research and Training Centre) । आठ वर्षों से महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिलेमें स्थित ये राज्य सरकार द्वारा स्थापित केंद्र जाना जाता है, बेहद अनोखी और विशेष बांस कलाकृतियों के लिए।

ये बांस के अनूठे उत्पाद डेकोरेटिव्ह या गिफ्ट आर्टिकल्स अथवा दैनंदिन उपयोग की वस्तुएं, ना केवल आपकी कलाइयां, आपकी मेज,आपका घर या दफ्तर मनमोहक बनाते हैं बल्कि, आदिवासी और महिलाओंको आर्थिक रूपसे स्वयंपूर्ण भी बनाते हैं। और यहां की राखियां तो ना केवल खूबसूरत और आकर्षक होती हैं बल्कि प्लास्टिक और रसायनिक रंगोंसे कोसों दूर और पर्यावरण पूरक भी ।
इन राखियों और बांस के उत्पादों ने कई कारागीर महिलाओं और आदिवासी परिवारों को सम्मान की जिन्दगी दी है। कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त इस केंद्र को रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण उपलब्धि हेतु, चार वर्ष पूर्व स्कॉच ग्रुप द्वारा स्वर्ण पदक दिया गया था।
केंद्र के वर्तमान संचालक तथा आई एफ एस अधिकारी अविनाश कुमार बताते हैं कि बांस की इन अनूठी वास्तुओं द्वारा ना केवल खरीददारों में पर्यावरण संबंधी
जागरूकता फैलाने का प्रयास हो रहा है बल्कि दूरदराज की महिलाओं और परिवारों आर्थिक रूपसे सशक्त बनाया जा रहा है ।

इसके अलावा केंद्र द्वारा बांबू प्रौद्योगिकी में दो वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम तथा सर्टिफिकेट कोर्स भी चलाए जाते हैं । महाराष्ट्र के महिला आर्थिक विकास महामंडल की सहायता से छह तालुका केंद्रों में कॉमन फैसिलिटी सेंटर चलाए जा रहे हैं ।

..और ये राखियां महंगी नहीं है । एक राखी मात्र बीस रुपए में उपलब्ध है ।
अविनाश कुमार बताते हैं कि सौ से अधिक की बुकिंग ऑर्डर देने पर प्रति राखी केवल बारह रुपए तथा डेढ़ रुपए जी एस टी देनी होती है। केंद्र इस वर्ष अब तक हजारों राखियां उपलब्ध करा चुका है और नौ हजार का स्टॉक विपणन हेतु उपलब्ध है ।
श्री अविनाश कुमार कहते हैं कि जब हम ये बांस उत्पाद चुनते हैं तब ना केवल पर्यावरण को बचाने और संवर्धन की दिशा में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं बल्कि साथ ही अन्य लोगों में जागरुकता भी बढ़ाते हैं। सबसे संतोष जनक बात तो ये कि इन बांस उत्पादोंका मूल्य न्यूनतम श्रम पारिश्रमिक को ध्यान में रख कर तय किया जाता है । लिहाजा, कारागीरों तक उनकी मेहनत के सही रुपए पहुंचते हैं। इस के जरिए मेक इन इण्डिया की ओर हम सब ठोस योगदान दे सकते हैं ।

For orders call : 9371773211 / 9552729996.
website : brtc.org.in
twitter : @BRTC_Chandrapur
n a cursory look makes you fall in love with the cuteness.