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मुख़्तार अंसारी अब चर्चा में! माफिया ‘डॉन’ स्वयं दहशत में!

मुख़्तार अंसारी: कभी पूर्वांचल में आतंक का दूसरा नाम था। अब खुद अदालत में अर्जी लगाकर मांग कर रहा है, "मुझे 'बाहुबली' या 'डॉन' ना कहो!"

मुख़्तार अंसारी की ७८६ नंबर की खुली जीप पर खुले आम सवारी मशहूर थी। जेल में रहकर ४०० गोलियोंसे सात खून कहाँ हुए? पूर्वांचल में सांप्रदायिक दंगे कैसे किए। आतंक के पर्यायवाची नाम के लिए ये सब भूतकाल था। अब हालात बुरे हैं, वह स्वयं इन दिनों डर के साये में हैं। मुख़्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी ने कभी बाहुबली शब्द की परिभाषा कुछ यूँ की थी, “जिसके पीछे हजारों लाखों लोगोंका समर्थन है, वही बाहुबली शब्द के मायने जानता है।” अब हालात ऐसे बुरे हैं, कि स्वयं मुख़्तार ने बाराबंकी कोर्ट में अर्जी लगाकर स्वयं को बाहुबली, माफिया, डॉन और गुर्गा जैसे उपनाम ना देने की मांग की है।  
(इंडिया इनपुट ब्यूरो)
मुख़्तार अंसारी पर अब नजरें हैं! अतीक अहमद की प्रयागराज में शूटरोंद्वारा हमलेमें गोलीबारी से हुई मौत के बाद हालात तेजी से बदलते जा रहे हैं। ऐसे में अब मुख्तार अंसारी को अपहरण तथा ह्त्या के मामलेमें सजा हुई है। गाजीपुर की एम पी एम एल ए कोर्ट ने दस साल कैद और पांच लाख रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है।इस मामलेमें भाजपा विधायक कृष्णानद राय समेत सात लोगोंको घेरकर ए के फोर्टी सेवन जैसे आधुनिक हत्यारोंसे ४०० गोलियाँ चलाकर मार दिया गया था। कहते हैं, कि पोस्टमॉर्टेम के दौरान मृतकोंके शरीरों में से ६७ गोलियां निकाली गईं। इसी मामलेमें उनके भाईऔर बसपा सांसद अफ़ज़ाल अंसारी को गाजीपुर की एम पी एम एल ए कोर्ट ने ही चार साल कैद और एक लाख रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है। ये सजा दो वर्ष से अधिक है, लिहाजा नियमोंके चलते उनकी लोकसभा सदस्यता समाप्त कर दी गयी है।
मुख़्तार अंसारी पर ख़ौफ़ का साया।
मुख़्तार अंसारी
मुख़्तार अंसारी (pic: ANI)

इसी सुनवाई के सन्दर्भ में जब मुख़्तार अंसारी की ऑनलाईन पेशी हुई तो उन्होंने अपनी जान को खतरा होने का दावा किया। अदालत ने उनकी सुरक्षा के इंतजाम और पुख्ता करने के निर्देश दिए। आज उन्हें डर सता रहा है उनके दहशत और आतंक की अभी कल परसोंतक तूती बोलती थी। ६२ वर्षीय मुख़्तार अंसारी और उनके भाई अफजाल के खिलाफ ९७ मामले दर्ज हैं।

मुख्तार अंसारी पूर्वी उत्तर प्रदेश अर्थात पूर्वांचल के डॉन कहे जाते रहे हैं। वो उनकी ७८६ नंबर की खुली जीप में खुले आम घूमा करते। उनके आगे पीछे उनके गुर्गोंका लाव लश्कर हुआ करता था। कहते हैं, कि उन्हें सड़क पर इस तरह देख कर आम जनता अपनी राह बदल लेती। मुलायम सिंग यादव के मुख्यमंत्री काल में मऊ में हुए २००५ के भीषण दंगोंके पीछे मुख़्तार अंसारी का हाथ बताया जाता है। मुख्तार की जीप के साथ दंगाई बीस पचीस एस यू व्ही गाडियोंमें घूम रहे थे। मऊ में हुई हिंसा की घटनाओंसे व्यथित योगी आदित्यनाथ ने मऊ जाने का निश्चय किया था। उसके बाद जो हुआ वह इतिहास है। वर्तमान मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ पर हमले के एक मामले में भी मुख़्तार का नाम आया था।
मुख़्तार अंसारी: जेल थी ऐशगाह!
मुख़्तार अंसारी Mukhtar Ansari
मुख़्तार अंसारी अब स्वयं को बाहुबली डॉन कहलाना नहीं चाहते। (image: Facebook)
जेल को अपना घर बनाकर रहने के आरोप मुख़्तार अंसारी पर लगते रहे हैं। कहते हैं, कि उसे खाने में पसंदीदा मछली मिले इस उद्देश्य से उसने जेल में तालाब खुदवा लिया था। खुद के बैडमिंटन खेलने के लिए जेल में बैडमिंटन कोर्ट भी बनवाया था। जेल में उसके कुछ गुर्गे भी उसकी सेवा हेतु साथ रहते थे। जेल से ही चुनाव लड़कर और लोगोंको चिट्ठियाँ भेज कर मुख़्तार चुनाव जीतते रहे हैं। वर्ष २०१८ में बागपत जेल में मुख़्तार के गुर्गे मुन्ना की हत्या होनेसे मुख़्तार ने स्वयं को पंजाब जेल स्थानांतरित करवा लिया। इस दौरान वो किस शानोशौकत से अपनी बीवी के साथ कई जेल बराकोंमें ऐश करता था! इसका खुलासा स्वयं पंजाब के जेल मंत्री ने विधानसभा में हाल ही में किया।
खुले आम मुख़्तार अंसारी के बेटे की धमकी।

बताया जाता है, कि मुख़्तार के पद्चिन्होंपर चलकर उसका बेटा अब्बास भी राजनेता और डॉन दोनों बनने की ख्वाहिश रखता है। २०२२ के उत्तर प्रदेश चुनावोंमें अंसारी गुट अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा के विजयी होनेकी सम्भावना जता रहा था। एक सार्वजनिक रैली में मुख़्तार के पुत्र अब्बास ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के पुलिस अधिकारी तथा ब्यूरोक्रेट्स को इन शब्दोंमें धमकाया था, कि  “समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश जी यादव से यह तय कर आया हूँ, कि छह महीने तक किसी की ट्रांसफर पोस्टिंग नहीं होगी भैय्या। जो यहाँ है, वो यहाँ ही रहेगा। पहले हिसाब किताब होगा। उसके बाद इनके जानेके सभी टिकट पर मुहर लगाया जाएगा।” 

मुख्तार अंसारी
U P Police logo

इस भाषण की क्लिप व्हायरल होते ही उत्तर प्रदेश पुलिस ने अब्बास अंसारी के खिलाफ चुनावी आचारसंहिता उल्लंघन का मामला दर्ज भी कर लिया था। २०२२ के चुनावोंमें अब्बास अंसारी इसी मऊ सदर विधानसभा सीट से ३८ हजार से अधिक वोटोंसे विजयी हुए हैं। यही अब्बास अंसारी वर्ष २०२२ के ही नवंबर माह में मनी लॉन्ड्रिंग के मामलेमें गिरफ्तार हुए। इसके पूर्व वे और उनके परिवार के अन्य सदस्य फरार थे। जेल के अधिकारी और पुलिस कर्मियोंको डर दिखाकर या रुपयोंसे खरीदने का सिलसिला अब्बास ने भी जारी रखा। २०२३ में उजागर हुआ, कि किस तरह से  चित्रकूट जेल में अब्बास अंसारी से मिलने उसकी पत्नी निखत बे रोकटोक आया जाया करती थी। वहीँ रह भी जाया करती थी। उसकी एंट्री रिकॉर्ड में लेखी दर्ज नहीं की जाती थी।  इस मामलेमें जेल कर्मियोंके बैंक खातोंमें बड़ी रकमोंके ट्रांसफर होनेके सबूत सामने आये हैं। इसके बाद अब्बास को कासगंज जेल स्थानांतरित किया गया।

अतीक मामलेका असर।
सौ से अधिक आपराधिक मामलोंके आरोपी बाहुबली नेता, पूर्व सांसद तथा पूर्व विधायक अतीक अहमद की पूरी गैंग हुआ करती थी जिसमें उसका भाई अशरफ, पूरा परिवार, उसके बेटे, शूटर्स, बमबाजी करनेवाले गुड्डू मुस्लिम जैसे बम विशेषज्ञ और उसके गुर्गे  शामिल थे। हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण, आपराधिक साजिश, फिरौती, जबरन वसूली, फ्रॉड, धमकियाँ देना, जबरन भूमि हथियाना जैसे सौ से अधिक मामले अतीक अहमद पर थे।  लेकिन, किसी भी मामलेमें उनपर आरोप साबित नहीं हो सका था। वजह थी उनकी दहशत जिस के चलते उनके खिलाफ गवाही देने से लोग घबराते थे। बताया जाता है, कि अतीक और उनके भाई अशरफ की पुलिस हिरासत में तीन सशस्त्र हमलावरोंद्वारा हत्या के बाद, उसका असर मुख़्तार और उनके परिवारजनोंपर हुआ है। अभी-अभी तक पूर्वी उत्तर प्रदेश में आतंक का पर्याय बन चुके अंसारी बंधुओंको अब खुद पर हमले का डर सता रहा है।
मुख़्तार अंसारी की पारिवारिक पृष्ठभूमि। 
मुख़्तार अंसारी
मुख़्तारअंसारी
डर अथवा आशंका का असर है कि मुख़्तार के बड़े भाई अफ़ज़ाल ने हाल ही में ये कहा,”चर्चा है, कि अतीक अहमद के बाद अब मुख्तार अंसारी का नंबर है, लेकिन मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है।” अफ़ज़ाल अंसारी १९८५ में विधायक बने। अफ़ज़ाल के अलावा मुख़्तार के अन्य बड़े भाई सिबकतुल्ला अंसारी भी विधायक रह चुके हैं। १९९६ में मऊ सीट से मुख़्तार अंसारी बहुजन समाज पार्टी की टिकट पर विधायक बना।
गौरतलब है, कि उनके दादा डॉ मुख़्तार अहमद अंसारी पेशे से वैद्यकीय चिकित्सक अर्थात डॉक्टर थे। उन्होंने विदेश से उच्च शिक्षा हासिल की थी। बाद में उन्होंने कांग्रेस में प्रवेश ले लिया था और १९२६-२७ में कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए थे। वे जामिया मिलिया इस्लामिया के संस्थापक सदस्य रहे और १९२८ से १९३६ तक वहाँ व्हाइस चान्सलर भी रहे। उनकी मौत के बाद उन्हें जामिया परिसर में दफनाया गया था।
इनके भतीजे सुबान अल्ला अंसारी कम्युनिस्ट विचारोंके कार्यकर्ता रहे।  उन्हीं के बेटे हैं ‘डॉन’ मुख़्तार अंसारी। गौरतलब बात यह भी है, कि मुख़्तार अंसारी भारत के पूर्व उपराष्ट्रपती हामिद अंसारी के नजदीकी रिश्तेदार अर्थात भतीजे लगते हैं।
यू पी पुलिस की आधिकारिक वेबसाईट (official website of Uttar Pradesh Police):
https://uppolice.gov.in/

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