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संस्कृत : विश्व की प्राचीनतम एवं वैज्ञानिक भाषा !!

ऋग्वेद से विष्णु अवतार तक - विज्ञान का संस्कृत कोड

संस्कृत : विश्व की प्राचीनतम एवं वैज्ञानिक भाषा है। संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम एवं वैज्ञानिक भाषा है। वेदों एवं पुराणों में इसकी महत्ता स्पष्ट रूप से उजागर होती है। यह देववाणी के रूप में ज्ञान का भंडार है। महर्षि पाणिनि की अष्टाध्यायी ने संस्कृत का व्याकरण बहुत तर्कपूर्ण बना दिया। यह ध्वनियों पर आधारित और संरचना से पूरा है।संस्कृत में वैदिक, बौद्ध और जैन धर्म के मुख्य ग्रंथ लिखे गए हैं। आज भी हिंदू पूजा-पाठ इसी भाषा में संपन्न होते हैं।

 द्वारा डॉ नम्रता मिश्रा तिवारी, प्रधान संपादक http://indiainput.com
प्राचीनतम भाषा

संस्कृत भाषा संसार की सबसे पुरानी भाषा है, जिसमें ऋग्वेद जैसे विश्व के प्रथम ग्रंथ की रचना हुई। विद्वानों के अनुसार वेदों का काल ६५०० ई.पू. से १५०० ई.पू. तक माना जाता है। चारों वेद- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद संस्कृत में ही संकलित हैं। पुराणों में भी ब्रह्मांड, प्रकृति एवं जीवन के रहस्य संस्कृत में वर्णित हैं।

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वैज्ञानिक विशेषताएँ

संस्कृत का व्याकरण अत्यन्त वैज्ञानिक है, जिसे महर्षि पाणिनि ने अष्टाध्यायी में प्रतिपादित किया। इसकी वर्णमाला ध्वन्यात्मक एवं तर्कसम्मत है, जिसमें प्रत्येक वर्ण की एक निश्चित ध्वनि है। वेदों में खगोल विज्ञान, चिकित्सा एवं गणित के सिद्धांत मिलते हैं, जैसे ऋग्वेद में सूर्य की सात रंगों वाली किरणें ‘सप्ताश्वरथ’ के रूप में वर्णित हैं। पुराणों में विकासवाद एवं रसायन विज्ञान के प्रतीक समुद्र मंथन एवं विष्णु के दशावतार हैं।

ऋग्वेद में सूर्य की सात किरणें ‘सप्ताश्व’ के रूप में वर्णित हैं।अथर्ववेद आयुर्वेद एवं रसायन का भंडार है। पुराणों में विष्णु के दशावतार विकासवाद के क्रम को दर्शाते हैं।

 

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वेद-पुराणों में महत्व
वेद संस्कृत की प्राचीनता एवं वैज्ञानिकता के प्रमाण हैं, जबकि पुराण धार्मिक एवं वैज्ञानिक ज्ञान के संग्रह हैं। अथर्ववेद में आयुर्वेद एवं औषधियों का वर्णन है। उपनिषदों में पंचमहाभूत सिद्धांत ब्रह्मांड की उत्पत्ति बताता है। संस्कृत अध्ययन से स्मरणशक्ति बढ़ती है एवं कम्प्यूटर भाषा के लिए उपयुक्त है।

 

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सांस्कृतिक योगदान

संस्कृत भारतीय एकता का आधार है एवं आधुनिक भाषाओं की जननी। इसका साहित्य विशाल है, जिसमें महाभारत, रामायण एवं १८ पुराण सम्मिलित हैं। वेद-पुराणों के माध्यम से यह विज्ञान एवं आध्यात्म का समन्वय साधती है।

 

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आधुनिक प्रासंगिकता

संस्कृत की संरचना कम्प्यूटर भाषाओं के लिए आदर्श है। NASA ने भी इसे वैज्ञानिक भाषा माना। वेद-पुराण अध्ययन से विज्ञान एवं आध्यात्म का समन्वय होता है।

संस्कृत भाषा का प्रभाव केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया में फैला हुआ है। सभी आधुनिक भारतीय भाषाओं की नींव में संस्कृत के शब्द मौजूद हैं, जो देश की भाषाई एकता को बनाए रखने में मदद करते हैं। दक्षिण भारत की कन्नड़, तेलुगु और मलयालम भाषाओं पर इसका गहरा प्रभाव है, यहाँ तक कि तमिल में भी हजारों संस्कृत शब्द मिलते हैं।

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विश्व स्तर पर, संस्कृत भारोपीय भाषा परिवार का हिस्सा है और प्राचीन ईरानी भाषा ‘अवेस्ता’ से काफी समानता रखती है। पड़ोसी देशों जैसे नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार और थाईलैंड की भाषाओं पर भी इसकी स्पष्ट छाप है। चीन में बौद्ध धर्म के प्रसार के साथ सैकड़ों ग्रंथों का अनुवाद हुआ, जिससे संस्कृत के शब्द चीनी भाषा में शामिल हो गए। तिब्बत में भी एक समय में संस्कृत संस्कृति और गांधारी भाषा का काफी प्रचलन था।

Source : https://hi.wikipedia.org

http://x.com

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