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व्हिडियो एडिटर्स चाहिए लाखों! बेहतरीन आमदनी के अवसर!
युवाओंको व्हिडिओ एडिटिंग क्षेत्र में लाना चाहते हैं समरेश अग्रवाल! तीन हजार युवाओंको व्हिडिओ एडिटिंग प्रशिक्षण दिला चुके मास्टर ट्रेनर से 'इण्डिया इनपुट' की चर्चा।
व्हिडियो एडिटर्स की लाखोंकी तादाद में भारत में आवश्यकता है, हर वर्ष! क्या हमारे बेरोजगार युवा हैं तैयार ? श्री समरेश अग्रवाल और उनकी पत्नी श्रीमती रौशनी अग्रवाल लाए हैं एक क्रान्ति, जिसका नाम है क्विक व्हिडिओ एडिटिंग एकेडमी! अच्छी आमदनी, नाम और समय की आजादी । प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद, मात्र कुछ ही महीनोंमे ! दो तीन महीनों के प्रशिक्षण के बाद ही व्हिडिओ एडिटर के रूप में घर बैठे की जा सकती है हजारों, लाखो रूपए कमाने की शुरुआत, कह रहे हैं, करीब तीन हज़ार युवाओंकों प्रशिक्षित कर चुके समरेश अग्रवाल जिनकी क्विक एकेडमी बेरोजगार युवाओं को आर्थिक संपन्नता और नाम दिला रही हैं। ‘समरेश सर’ के नाम से लोकप्रिय इस मशहूर प्रशिक्षक के छात्रों ने साबित कर दिया है, कि व्हिडिओ एडिटिंग का प्रशिक्षण पाने के कुछ ही महीनों बाद कर सकते हैं भारी आमदनी !
डॉ. नम्रता मिश्रा तिवारी, सम्पादक, इण्डिया इनपुट
हजारों युवाओंको प्रशिक्षण दे कर व्हिडियो एडिटर्स बनाने वाले समरेश अग्रवाल क्या बता रहे हैं, पढ़िए! बड़ी अन्तर्राष्ट्रीय कम्पनियों में कभी जिम्मेदारी के पद पर आसीन श्री समरेश अग्रवाल आज एकदम अलग क्षेत्र में एक ब्रांड के रूप में स्थापित नाम बनकर उभरे हैं। कभी इंटरनैशनल कंपनियोंके रीजनल हेड से फिर व्हिडिओ एडिटिंग में समरेश सर बनकर उन्होंने आज देश विदेश में लगभग तीन हजार छात्रोंको खुद के पैरोंपर खड़ा करने तक सफर तय किया है। आज नागपुर स्थित क्विक व्हिडिओ एडिटिंग एकेडमी के समरेश अग्रवाल अधिकाधिक युवाओंको व्हिडिओ एडिटिंग क्षेत्र में लाने के लिए प्रयासरत हैं। इतना ही नहीं, विश्व भर में लॉन्च हो रहे नए नए सॉफ्टवेयर्स की भारत में सबसे पहले अपने छात्रोंकों जानकारी देने के लिए श्री समरेश अग्रवाल सुविख्यात हैं। उनका दावा हैं, कि महिलाओं और पुरुषोंके स्वावलंबन, स्वतन्त्रता और संपन्नता के लिए भारी संभावनाओंका अवसर है, व्हिडिओ एडिटिंग।
श्री अग्रवाल अपने व्यस्त ट्रेनिंग शेड्यूल से समय निकालकर देश भर अलग अलग स्थानोंपर सेमिनार और वर्कशॉप लेते रहते हैं। श्रीमती रौशनी अग्रवाल ने अकैडमी के सञ्चालन का जिम्मा संभाल रखा है। महाराष्ट्र में पुणे, नांदेड़, नाशिक जैसे कई शहर तथा छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश जैसे अन्य कई राज्योंमें उनकी क्विक व्हिडिओ एडिटिंग एकेडमी वर्कशॉप आयोजित करवा चुकी है। यह संस्था देश के नामी गिरामी एडिटर्स और सिनेमेटोग्राफर्स के साथ भी वर्कशॉप आयोजित करवाती है।
व्हिडियो एडिटिंग में स्वयं-रोजगार की भारी संभावना
इंडिया इनपुट डॉट कॉम ने क्विक व्हिडिओ एडिटिंग एकेडमी के संचालक श्री समरेश अग्रवाल से बात की!
इंडिया इनपुट: आखिर आप युवाओंको व्हिडिओ एडिटिंग क्षेत्र में क्यों लाना चाहते हैं?
श्री समरेश अग्रवाल: जिन क्षेत्रोंमें स्वयंरोजगार के लिए अपने देश में काफी संभावनाएं हैं, इनमें इवेंट्स व्हिडिओ एडिटिंग का क्षेत्र सबसे आशादायी लगता है। आज हर जिले, हर शहर और हर गांव में बर्थडे, एंगेजमेंट, शादी, आदी इवेंट्स में भी व्हिडिओ निमंत्रण याने सेव द डेट जैसे व्हिडिओ का चलन बढ़ गया है। इससे लेकर प्री वेडिंग व्हिडियोज, सिनेमैटिक व्हिडियोज और वेडिंग हायलाइट्स की भारी मांग है। यह मांग हर सप्ताह और हर दिन बढ़ रही है। यह अवसर कई जिन्दगियाँ बदल रहा है। बेरोजगार युवक युवतिओंके लिए आत्म निर्भर बनने का यह सुनहरा अवसर है। महिलाओं में जन्मतः कला के प्रती संवेदनशीलता होती है। उनमें क्रिएटिविटी और अनुशासन भी होता है। घर संसार संभालकर डेडलाईन के भीतर वे सफलता से काम कर पाती हैं। और तो और, व्हिडियो एडिटिंग का काम वे घर परिवार संभालकर घर बैठे बड़ी आसानी से कर सकती हैं। सिर्फ उन्हें खुद से तय करना होता है। फिर वे अपना घर खर्च स्वयं निकाल सकती हैं और खुद का घर भी बना सकती हैं।
हर वर्ष लाखो एडिटर्स चाहिए ।
इंडिया इनपुट: आज जब आबादी और स्पर्धा बढ़ रही है तो रोजगार तथा नौकरियोंके अवसर कम हो रहे हैं । ऐसे में आप के क्षेत्र में क्या स्थिति है?
श्री समरेश अग्रवाल: जाहिर है बढ़ती आबादी , स्पर्धा और बदलते हालातोंके चलते अब नौकरियां कम से कम होती जा रही हैं। मेरा सवाल ये है कि आज सरकारी नौकरियां कितने लोगोंको मिलती हैं? कुछ दो तीन सौ पदो के लिये लाखो आवेदन आते हैं । ये आपको तय करना है कि आप एक नौकरी में और मर्यादित सैलरी में अपना जीवन गुजार देंगे या कुछ प्रशिक्षण पारित कर अपनी मर्जी के मालिक बनेंगे और खुद की कमाई खुद तय करेंगे । वह भी ग्लैमर वर्ल्ड में।
आप इर्द गिर्द नजर दौड़ाइए तो पाएंगे कि व्हिडिओग्राफर्स और फोटो ग्राफर्स की संख्या बढ़ चुकी है लेकिन इस अनुपात में व्हिडिओ एडिटर्स काफी कम हैं । इवेंट्स की फुटेज हफ्तों पड़ी रहती हैं एडिटर को समय नहीं मिल पाता। बड़ी तादाद में कंप्यूटर्स, डिजीटल कैमरा, व्ही एस एल आर तथा और कई नई टेक्नोलॉजी के कैमराज आ चुके हैं । बड़े मेगा पिक्सल कैमरायुक्त स्मार्ट फोन्स ने इसमें रंगत ला दी है । हर कोई शूटिंग कर रहा है। लेकिन एडिटर्स की कमी बढ़ती जा रही है । मुंबई और दिल्ली के उपनगरोंमें कुछ युवा एडीटिंग सिख कर घर पर ही रीजनल फिल्में, व्हिडिओ एलबम्स, ओ टी टी सीरीज, यू ट्यूब जेड इंस्टाग्राम आदी सोशल मीडिया क्लिप्स… ये सब एडिट कर हर महिने लाखो कमा रहे हैं । फिर भी काम बढ़ता जा रहा है । आज के युवाओंको आज और अभी यह तय करना होगा कि वे नौकरी करनेवाले बनना चाहते हैं या नौकरी देनेवाले। आपके जीवन की सफलता इसी सवाल के जवाब में छिपी हुई है।
इंडिया इनपुट: आपने इस क्षेत्र में आना कैसे तय किया?
श्री समरेश अग्रवाल: देखिए भारत के हर जिले हर कस्बे में व्हिडियो एडिटर की मांग है। एडिटर कम हैं या बिलकुल नहीं है. लिहाजा,
फुटेज को संपादित करने के काम रुके पड़े हैं। हकीकत यही है कि, भारत और इस दक्षिण एशियाई उपमहाद्वीप में प्रतिवर्ष प्रशिक्षित लाखो व्हिडियो एडिटर्स की आवश्यकता है। हर माह एक से बढ़कर एक टेक्नोलॉजी आ रही है। जरूरत है, कि आप को सॉफ्टवेयर्स की पर्याप्त जानकारी हो और आप प्रैक्टिस के जरिए अच्छे क्रिएटिव काम कर सकें। इस भारी मांग को देखते हुए कुछ वर्ष पूर्व मैने अपनी तरफ से एक फैसला लिया और आज भी उसपर मिशन मोड़ पर कार्यरत हूं। देखिए, यह एक विशाल मार्केट है। इस मार्केट में प्रचलित फीस स्ट्रक्चर से भी कम लागत में प्रशिक्षित स्किल्ड एडिटर्स की आपूर्ति करने की मैंने ठान ली और कुछ वर्षों से शुरुआत की हैं। जहां बड़े बड़े संस्थान छात्रोंका डेढ़ लाख से पांच लाख रुपयों तक खर्च करवाकर कुछ वर्षों बाद उन्हें प्रशिक्षित कर पाते हैं, हमने उस से एक दशांश या उस से भी कम खर्च में और बेहद कम समय में , उन्हें बेहतर प्रशिक्षित एडिटर्स की पहचान देते है। क्विक व्हिडिओ एडिटिंग एकेडमी के जरिए अब तक हर दो तीन महीने में रेडी टू वर्क कई नए व्हिडियो एडिटर्स देने में हमने सफलता प्राप्त की है। उनके लिए बेहतर प्रशिक्षण के साथ बेहतर प्रैक्टिकल अनुभव और बेहतरीन होस्टल सुविधा भी उपलब्ध कराई है।
लाखों रूपयोंकी जरूरत नहीं।
इंडिया इनपुट: आज बड़े संस्थान और बड़े बड़े स्टार्स के इंस्टीट्यूट्स यही सिखाने के लिए एक साल से तीन साल का समय लेते हैं और लाखों रूपयोंकी फीस भी। फिर, आप मात्र एक या दो महीने में और इतनी कम फीस में ये सब कैसे कर लेते हैं?
श्री समरेश अग्रवाल: सच देखा जाए तो बाहर एक ट्रेजेडी शुरू है। आज एक ओर बेरोजगारी है और दूसरी ओर अवसर है भी तो उन्हे व्यर्थ जाने दिया जा रहा है। बड़ी संस्था में व्हिडिओ एडिटिंग प्रशिक्षण पाना हो तो छात्रोंमें लाखो रूपयोंकी फीस चुकाने की क्षमता चाहिए। इतने रुपए हर होनहार या जरूरतमंद छात्र दे पाएगा यह जरूरी तो नहीं है। तो क्या अच्छे एडिटर्स बनने से पहले ये होनहार लोग इसी तरह बाहर कर दिए जाते रहेंगे? और इस क्षेत्र में इतनी भारी मांग हो कर भी यदि प्रशिक्षित लोगोंकी आपूर्ति नहीं होगी तो नुकसान इस क्षेत्र का होगा, युवाओंका होगा और देश का ही होगा। वैसे तो नामी गिरामी इंस्टिट्यूट्स में लाखों रूपयोंकी फीस पर एक वर्ष या दो वर्ष या तीन वर्ष के पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। लेकिन, कुल मिलाकर पढ़ाते तो वही है जो हम प्रैक्टिकली पढ़ाते हैं। मैं तो बल्कि लेटेस्ट सॉफ्टवेयर्स पढ़ाता हूं। जरूरतमंद छात्रों को प्रशिक्षित कर अपने पैरोंपर खड़ा करना, उन्हे आत्मनिर्भर बनाना मेरा काम है। वैसे उनके पास बड़ी संस्थानोंको देने योग्य पैसे और इतना वक्त होता कहां है? आप देखेंगे, आज हर प्रशिक्षित एडिटर के पास काम का अंबार लगा हुआ है। बाकी, स्थिति तो यही है, कि एक ओर प्रशिक्षित एडिटर्स की कमी है और दूसरी ओर युवा रोजगार की तलाश में और अवसर की प्रतीक्षा में घूम रहे हैं। ऐसा कब तक चलेगा? एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में एडिटर्स की मांग बढ़ रही है और इसलिए, मैं मिशन मोड में सक्रिय हूं। मेरे द्वारा प्रशिक्षित एडिटर्स साबित कर चुके हैं, कि वे आज बाकी एडिटर्स से कहीं भी कम या पीछे नहीं। बल्कि उन्हें लेटेस्ट सॉफ्टवेयर्स की जानकारी भी अधिक होती है। वे अब अवसर को जाने नहीं दे रहे, बल्कि अपने काम के बदौलत नाम, पहचान और आमदनी बना रहे हैं।
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