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हेल्मेट मैन क्यों निराश हैं? ऐसे दांव पर लगा दी जिंदगी!

इस आम आदमी के प्रयासों को शोहरत मिली लेकिन, घर, गहने और नौकरी जाने के बाद अब गांव वापिस लौटने की नौबत आई है। 

हेल्मेट मैन
हेल्मेट मैन राघवेंद्र कुमार।

हेल्मेट मैन ऑफ़ इण्डिया अर्थात भारत के हेल्मेट मैन की बेहद दिलचस्प और दिल को छू लेनेवाली कहानी। करीबी दोस्त की अचानक दुर्घटना में मौत ने बदल दिया राघवेंद्र कुमार की जिन्दगी का रुख ! जिस देश में सड़कोंपर दुर्घटनाओंमें प्रती घंटा अठरा लोग मारे जाते हैं याने हर वर्ष औसतन डेढ़ लाख जाने जाती हैं, वहीं ‘हेल्मेट मैन ऑफ इंडिया’ कहलाए गए राघवेन्द्र की यह है कहानी.. !

लोगों के बर्तावमें बदलाव लाने , अर्थात ‘बिहेवियरल चेंज’ लाने का जुनून था, कि.. घर, गहने और नौकरी गई ! लेकिन, हजारों लोगोंकी आदत बदली, करीब तीस जानें बचाई। देश के दुपहिया चालकोंमें हेल्मेट की आदत डालने के लिए अनूठा प्रयास करने वाले युवा वकील की यह कहानी सोचने पर मजबूर कर देती है। सड़क पर बगैर हेल्मेट दुपहिया वाहन चलाते लोगोंको मुफ्त में हेल्मेट बांटने वाले वाराणसी के इस युवा की कहानी जिन्होंने किताबोंके बदले हेल्मेट की एक नई व्यवस्था का भी आरंभ किया है। लेकिन, क्यों अब गांव वापिस लौटने की नौबत आ गई है?
संजय रमाकांत तिवारी
हेल्मेट मैन के ऐसे कई वीडियो वायरल हो गए हैं जिनमें आपको कुछ यूं दिखाई देता है: सड़क पर एक तेज रफ्तार बाईक जा रही है। बाईक सवारने हेल्मेट नहीं पहना है , फिर भी बड़ी तेजी से सड़क पर दुपहिया वाहन दौड़ा रहा है ! चौराहे पर यातायात सिग्नल के चलते उसे रुकना पड़ता है। इतने में उसके  बाजू में एक कार आकर खड़ी होती है। कार के शीशे नीचे आते हैं । कार चालक हंसते हंसते उनसे तेज ड्राइविंग की वजह जानना चाहता है। फिर वह उनको समझाता है और उनके हाथ में एक नया कोरा हेल्मेट थमाकर उसे पहनने की बिनती करता है। दुपहिया चालक हैरान है और असमंजस में भी। लेकिन कर चालक उसे हेल्मेट पहनने में सहायता करता है और हेल्मेट के बदले रुपए नहीं मांगता । वह कुछ लिए बगैर आगे बढ़ जाता है।
कौन है यह शख्स ? 
हेल्मेट मैन
हेल्मेट मैन जो दुपहिया सवार लोगों को निःशुल्क हेल्मेट्स देता है और उसकी अहमियत समझाता है।
लोग उन्हें एक नाम से जानते हैं ..हेल्मेट मैन ऑफ इंडिया।
यह अब नया नाम बन चुका है, दिल्ली के राघवेंद्र कुमार का। इनका काम है, लोगोंको सड़कों पर  निःशुल्क हेल्मेट बांटना। जी हां, आपने सही पढ़ा, हेल्मेट निःशुल्क बांटना। और साथ ही सुरक्षित यातायात के लिए हेल्मेट पहनने की आवश्यकता समझाना।
ये क्या और कैसी दिवानगी है? आप यही पूछेंगे, है ना? तो वाकई ये दिवानगी है। सात सालोंमें आई टी सेक्टर की नौकरी छोड़ कर अपने जेब से रुपए खर्च कर अच्छी गुणवत्ता वाले हेल्मेट खरीदना और फिर सड़कों पर जो दुपहिया चालक बगैर हेल्मेट मिल जाए उसे देना। साथ में जीवन रक्षा हेतु हेल्मेट की उपयोगिता भी समझाना। राघवेंद्र ने स्वयं के लिए ये काम चुना है, और वे इसे खुशी से करते हैं। इसीलिए, उन्हें ‘हेल्मेट मैन’ यह पहचान मिली है ।
हेल्मेट मैन
दुपहिया चालकोंको खूब पसंद है हेल्मेट मैन।
लेकिन, इसके लिए क्या क्या खोना पड़ा यह दर्द तो राघवेन्द्र ही जानते हैं । इसके लिए नौकरी गई, बीवी के गहने भी बेचने पड़ गए। यहां तक की मेहनत की कमाई से बनाया घर भी बेचना पड़ा। लेकिन, लोगोंकी जान बचाने की जुनून लिए यह अनूठा अभियान अब तक निरंतर जारी रहा। ये काम मुश्किल लगता है, किंतु राघवेंद्र के लिए जरा भी मुश्किल नहीं है।
“पुस्तक दो हेलमेट लो।”
अब तो राघवेंद्र लोगोंको पुरानी, इस्तेमाल की हुई किताबोंके बदले हेल्मेट देने लगे हैं। इस तरह प्राप्त किताबोंको फिर निर्धन, जरूरतमंद बच्चोंमें बांट दिया जाता है। ये वो बच्चे होते हैं जिनको रूपयोंके अभाव में किताबें खरीदना असंभव लगता है। अब कई बच्चे तो अपनी पिछली वर्ष की किताबें दे दिया करते हैं और नए वर्ष की किताबें ले जाया करते हैं। स्कूल या कॉलेज के कई जरुरतमंद छात्र ऐसे लाभान्वित हो रहे हैं। छात्र गोविंद मिश्रा कहते हैं कि जिनके पास रूपयोंकी व्यवस्था नहीं है उनके लिए ये बहोत महत्वपूर्ण बात बन चुकी है।
इस पूरी व्यवस्था में कहीं कोई परेशानी या झंझट नहीं और कहीं पैसों की लेन देन नहीं। मानो, एक बड़ा परिवार है और ये सारे उसके सदस्य अपने हिसाब से एक दूसरे का काम आसान कर रहे हैं। इस दिन ब दिन बढ़ती फैलती  व्यवस्था का आरंभ बिंदु राघवेन्द्र बन चुके हैं।
इन सबकी शुरुआत कैसे हुई ? हेल्मेट से!
हेल्मेट मैन
Raising awareness is key aspect of his mission दुपहिया वाहन चालकोंमें जागरूकता बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रमोंमें सहभागी हुए हैं, हेल्मेट मैन।

राघवेंद्र के शब्दोंमें, “मैं गरीब किसान परिवार से हूं। कानून की शिक्षा हासिल करने बिहार के कैमूर से 2009 में दिल्ली आया। विधि में स्नातक बना। लेकिन, पांच वर्षों बाद 2014 की एक घटना ने मेरी जिंदगी बदल दी। मेरे एक खास दोस्त और रूम पार्टनर कृष्णकुमार ठाकुर की अचानक एक सड़क हादसे में मृत्यु हो गई। बाईक को पिछे से अन्य वाहन की ठोस लगी। कृष्णकुमार का शरीर सही सलामत था, बस सर पर चोट थी। और, जान से हाथ धो बैठे थे।  ये इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने हेल्मेट नहीं पहन रखा था। यदि उन्होंने हेल्मेट पहना होता तो आज भी वे हमारे बीच होते। वे मात्र छब्बीस वर्ष की आयु में चल बसे। वे उनके मातापिता के इकलौते बेटे थे। बी एच यू से ग्रेजुएट हो चुके थे। बस इसी दुर्घटना ने मुझे विचलित कर दिया। इसलिए मैने हेल्मेट की अहमियत लोगोंतक पहुंचाने की ठान ली। मैने तय किया, कि मेरे दोस्त की तरह में अन्य दोस्तोंको हेल्मेट के बगैर या उसके अभाव में मरने नहीं दूंगा।”

लेकिन, इस के लिए मुफ्त में हेल्मेट बांटने की क्या जरूरत थी?
हेल्मेट मैन
“लोगोंको हेल्मेट का महत्व समझाना और उनकी जान बचाना मेरे लिए सबसे अधिक आवश्यक था।”

राघवेंद्र कहते हैं,”और क्या करता? लोगोंको हेल्मेट का महत्व समझाना और उनकी जान बचाना मेरे लिए सबसे अधिक आवश्यक था। सड़कों पर दुपहिया चलनेवाला हर कोई मेरे लिए मेरे दिवंगत दोस्त जैसा ही था। इन सबकी जान बचाना मेरी प्राथमिकता बन गई।”

पहली बार का अनुभव कैसा था ?
वो बताते हैं, “मैं पहली बार जब लोगों हेल्मेट दे रहा था तब कोई एक कोई दो लेकर जा रहा था। लेकिन मैं ये सब क्यों कर रहा हूं, क्या मकसद है, क्या कहना चाहता हूं, ये कोई जानना नहीं चाह रहा था। मैं बदलाव लाने चला था, लेकिन कई लोगोंको सिर्फ मुफ्त में मिल रहे हेलमेट बटोरने में दिलचस्पी थी।”
फिर एक दिन वो अपने दिवंगत दोस्त के घर उसके माता पिता से मिलने गए और वहां से उसकी याद में उसकी कुछ किताबें उठा लाए! इन्हें एक जरूरतमंद छात्र के हवाले कर दिया। राघवेन्द्र बताते हैं कि,काफी समय बाद में मुझे उस छात्र की मां का फोन आया कि इन किताबोंके चलते उस छात्र ने अच्छे अंक हासिल किए और वह जिले में टॉप में आ सका। बस, मुझे मेरी राह मिल गई। मैने फैसला किया, कि हेल्मेट मुफ्त में बांटने से अच्छा है यदि किताबें ली जाएं। हेल्मेट की अहमियत भी बनी रहेगी, सड़क पर लोगोंकी रक्षा होगी और निर्धन छात्रोंको पढ़ने के लिए किताबें भी उपलब्ध हो सकेंगी।”
हेल्मेट मैन के इस जुनून का जवाब नहीं ! 
हेल्मेट मैन
Kids simply adore him. बच्चोंको बेहद पसंद हैं, हेल्मेट मैन।

वे अब तक छप्पन हजार लोगोंको मुफ्त में हेल्मेट बांट चुके हैं ।

आज राघवेन्द्र वाराणसी के एक पेट्रोल पंप पर पुरानी किताबोंके बदले हेल्मेट देते हैं । यह स्थान काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के करीब होनेसे वहां के छात्र भी अपनी पुरानी पुस्तकें यहीं छोड़ हेल्मेट ले जाते हैं। बाईस राज्योंमे घूम घूम कर राघवेंद्र द्वारा शुरू की गई बुक बैंक वाली पहल से देश में कुछ स्थानोपर अब बुक डोनेशन स्टॉल्स भी लग चुके हैं। इसी के फलस्वरूप करीब चौदह सौ स्थानोंपर लाइब्रेरी खुल चुकी हैं। यह जुनून इतना कामयाब रहा है कि एक अनुमान के मुताबिक करीब छह लाख बच्चोंकों इस से निःशुल्क पुस्तकें प्राप्त हो चुकी हैं। कोरोना काल में भी उनका काम निरंतर चलता रहा । उनके प्रयासोंसे स्कूल कॉलेजों में हेल्मेट बैंक खुल रहे हैं ।
अब भी इस पूरे अभियान के केंद्र में हेल्मेट और पुस्तकें ही है। राघवेन्द्र कहते हैं कि हमारे देश में पाठशाला के स्तर से ही बच्चोंको सुरक्षित यातायात और हेल्मेट की नितांत महत्वपूर्ण उपयोगिता के बारे में जानकारी मिलना चाहिए। तब सोचने का नजरिया बदलेगा।
एक छात्रा विनीता अग्रवाल कहती हैं कि घर में पढ़ने के बाद पुस्तकें रखी रह जाती हैं। इस से अच्छा है ये पुस्तकें दूसरोंके काम भी आ सकें । इस से निजी सुरक्षा और दूसरों में शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा ।
उनकी कार के पीछे वाले शीशे पर एक दिलचस्प स्लोगन पढ़ने मिलता है, -‘यमराज ने भेजा है बचाने के लिए। ऊपर जगह नहीं है जाने के लिए ।’
निराशा और हताशा 
हेल्मेट मैन
हेल्मेट मैन को सरकारी तंत्र से नाउम्मीदगी मिली।
राघवेंद्र बताते हैं, “केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, बिहार के परिवहन मंत्री संतोष कुमार निराला और फिल्म अभिनेता सोनू सूद उनके कामोंकी प्रशंसा कर चुके हैं। ट्वीट भी किए गए, लेकिन मेरे प्रयासों में मुझे कोई ठोस मदद नहीं हुई।”
अकेले के बलबूते कुछ हद तक सफल अभियान के बावजूद आर्थिक और ठोस प्रोत्साहन के अभाव में आज राघवेन्द्र के सामने गांव लौटकर खेती करने का पर्याय केवल शेष है। वे महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी से मिलना चाहते हैं जो स्वयं का बेटा सड़क दुर्घटना में खो चुकी हैं। शायद कोई रास्ता निकले।
जिस देश में आज भी सड़क दुर्घटनाओं में प्रती वर्ष डेढ़ लाख जानें जाती हैं, वहां मात्र कानून बनाकर, जुर्माना वसूल कर क्या होगा? लोगोंके बर्ताव में तब्दीली लानी होगी। उन्हें समझाना होगा  और ये काम राघवेंद्र जैसे आम जनता से आए जुनूनी लोग कर सकते हैं।
हेल्मेट मैन
हेल्मेट मैन द्वारा आरम्भ किया गया कारवाँ अब आगे निकल चुका है।
हेल्मेट मैन ऑफ इंडियासे संपर्क करना चाहते हैं तो ये नोट करलें:
ई मेल : helmetmanofindia@gmail.com
ट्विटर हैंडल : @helmet_man_
(all pics : Helmet Man of India)

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