स्वच्छ भारत अभियान के मायने! अधिकारी दस्ताने पहनकर उतरे..!
'प्राणहिता पुष्कर पर्व' मेलेमें 'स्वच्छ भारत' का सबसे अनूठा अभियान 'स्वच्छतेची वारी'। अधिकारीयों और कर्मचारियों ने सफाई कर्मियोंका साथ दिया और फिर यह जनांदोलन बन गया।
स्वच्छ भारत अभियान के असली मायने क्या हैं? कैसे साकार हो सकता है, प्रधानमंत्री का ये सपना? कुछ अधिकारी और कर्मचारियोंने अपनी कृती से एक आदर्श उदाहरण साकार कर दिखाया!
एक पुष्कर पर्व ऐसा भी ! आम तौरपर जहां लाखोंकी भीड़ अपेक्षित हो, ऐसे विशाल आयोजनोंमें कुछ न कुछ खामियां रह जाती हैं ! लेकिन, इस पर्व में ऐसा नहीं दिखाई दिया !और हां, विभिन्न विभागोंके सौ से अधिक अधिकारी, कर्मचारी स्वयं हाथोंमें दस्ताने पहनकर नदी पात्र में उतरकर सफाई अभियान में हिस्सा लेते हुए..क्या आपने ऐसा नजारा देखा है? यहां इस बार स्वेच्छा से ये अनोखा अभियान भी चलाया गया । उद्देश था, स्वच्छता कर्मियोंका संबल बढ़ाना और आनेवाले भाविकोंको स्वच्छता का संदेश देना।
इंडिया इनपुट टीम द्वारा ।
नेतृत्व यदि कल्पनाशील, कर्मठ और साथी यदि समर्पित हो तो ऊंचे आदर्श भी सहजता से कायम किए जा सकते हैं। गडचिरोली के जिलाधिकारी श्री संजय मीणा तथा जिला प्रशासन की टीम ने यही कर दिखाया है।
सोलह अप्रैल दो हजार बाईस की दोपहर।
लगभग पाँच बजे का समय। महाराष्ट्र के गड़चिरोली जिलेमें तेलंगाना से सटे सिरोंचा की घटना। प्राणहिता नदी के घाट पर उपस्थित सैंकड़ों श्रद्धालु तथा वहीं कार्यरत स्थानीय नगर परिषद के सफाई कर्मी एक नजारा देखकर हैरान हो गए। उन्होंने देखा कि, करीब सौ से अधिक लोगों की एक भीड़ बढी चली आ रही है। इनमें विभिन्न सरकारी महकमोंके अधिकारी और कर्मचारी थे। हर किसी ने हाथोंमें दस्ताने पहन रखे थे।
ये भीड़ पूरे अनुशासन के साथ नदी घाट पर पहुंची और अपने काम में जुट गई । कोई बड़े पत्थरों पर और उनके बीच में पडा कचरा उठा रहे थे। कोई रेत पर पड़े कागज के रैपर, कवर्स, पॉलीथिन और प्लास्टिक उठा रहे थे । कुछने सीधे नदी पात्र में प्रवेश किया । वे पानी के भीतर फेंका गया निर्माल्य, कपड़े आदि उठाकर रस्सी से बुने जालमें बटोरने लगे ।
महाराष्ट्र और तेलंगाना के बीच बहनेवाली प्राणहिता नदी में बारह वर्षों बाद इस वर्ष पुष्कर स्नान पर्व तेरह से चौबीस अप्रैल 2022 के दौरान प्राणहिता नदी में पुष्कर स्नान पर्व मनाया गया । प्राणहिता नदी पर पुल बनने से इस वर्ष करीब आठ लाख श्रद्धालुओं के आगमन का अनुमान था । गडचिरौली जिलेमें सिरोंचा शहर में प्राणहिता घाट तथा नगरम घाट पर विशेष व्यवस्थाएं की गई ।
तेरह अप्रैल को महाराष्ट्र के वरिष्ठ मंत्री तथा गड़चिरोली के पालकमंत्री एकनाथ शिंदे के हाथों सुविधाओ का उद्घाटन हुआ । इस अवसरपर उन्होंने नदी की पूजा की और जल अर्पण किया । सिरोंचा से कुछ ही दूरी पर तेलंगाना में श्री कालेश्वरम यह प्राचीन शिवालय है जहां दो शिवलिंग कालेश्वर तथा मुक्तेश्वर एक साथ दर्शन देते हैं।
कैसे आई ‘सामूहिक स्वच्छता अभियान’ की कल्पना?
लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति से स्वच्छता और स्वास्थ्य की चिंता आयोजकोंको होना स्वाभाविक था । लिहाजा, इस अभियान के पीछे स्नान के साथ साथ सबका आरोग्य, प्रदूषण और पर्यावरण की चिंता थी ।
गड़चिरोली जिलाधिकारी संजय मीणा, आई ए एस द्वारा स्वच्छता का कड़ाई से पालन करने के निर्देशोंके बाद स्थानीय पुरोहितोंके साथ स्थानीय प्रशासन ने बैठक की थी । उन्हें नदी पात्र में पिंड दान न करने, पूजा साहित्य, कागज, पॉलिथिन, प्लास्टिक आदी न फेंकने और निर्माल्य आदी विसर्जित ना करने का अनुरोध भी किया गया । नदी की संध्या आरती के उपरांत स्वच्छता पर बल दिया गया। फिर भी परिस्थिति में कोई खास बदलाव न हुआ । कुछ लोग कचरा बक्सेमें डालने के बजाए वैसे छोड़ देते या नदी में डाल देते । इस पर पुष्कर पर्व के लिए जिला प्रशासन के नोडल अधिकारी तथा अतिरिक्त जिलाधिकारी श्री धनाजी पाटिल ने अभियान की रूपरेखा तय की और निर्देश दिए ।
सिरोंचा तहसीलदार जितेंद्र शिकतोड़े बताते हैं,’ पूर्व तैयारी की बैठक में जिलाधिकारी सर ने स्वच्छता का पूरा ध्यान रखने के हमें निर्देश दिए थे। क्योंकि, यह मुद्दा प्रदूषण और सार्वजनिक स्वास्थ्य से सीधे जुड़ा है । उन्होंने स्वच्छता के लिए हमें बड़ा अभियान छेड़ने की बात कही थी । उद्घाटन के दिन से नगर परिषद के सफाई कर्मी भी हर दिन भरी धूप में काम पर जुटे हैं । सफाई हो रही है । कचरा संकलन गाड़ियां लगातार आ जा रही हैं । सांयकालीन आरती के बाद पूरा क्षेत्र साफ किया जा रहा है । उधर आनेवाले श्रद्धालुओंको भी नियन्त्रण कक्ष से सूचनाएं दी जा रहीं हैं । फिर भी कठडोंके पास कुछ कचरा शेष रह न जाए यह डर सताता था । पुष्कर पर्व पर स्नान करने आए सभी को सबसे स्वच्छ पानी मिले, नदी में मौजूद जलचरोंको भी दूर ना जाना पड़े यही उद्देश्य था ।’
‘जाहिर है, कुछ और करने की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। सफाई कर्मियोंको एक संबल देने की आवश्यकता है कि हम सब सारे अधिकारी, कर्मचारी और जनता उनके साथ हैं। इसलिए यह तय किया और तमाम सरकारी महकमोंमें संदेश पहुंचाया गया। वे सारे पूरे उत्साह से आए, निर्धारित समय से पूर्व पहुंच गए। ‘ वे बताते हैं ।
सिरोंचा नगर पंचायत के मुख्य अधिकारी विशाल पाटिल कहते हैं,’ दो दिनोंसे हम अपने सफाई कर्मियोंकों स्वच्छता के लिए अकेले प्रयास करते देख रहे थे । उनकी मेहनत, उनके प्रयास, उनकी वेदना हमें समझने की आवश्यकता होती है। साथ ही आने वाले लोगोंको भी इस विषयमें और अधिक गंभीरता से सक्रीय करवाने की आवश्यकता भी थी।’
श्री विशाल पाटिल एक कुशल तैराक हैं। उन्होंने इंडिया इनपुट टीम को बताया, ‘पानी में उतरकर पात्र को कठड़ों तक साफ रखना प्राथमिकता है, यही करने की जिद से हम सब आए हैं । इस अभियान को जारी रखेंगे ।’
‘स्वच्छतेची वारी’ बना जनांदोलन।
श्री पाटिल की बात सच साबित हुई। यह अभियान चलाया ही रहा। इस अच्छी खबर ने कइयों को जबरदस्त प्रेरित कर दिया। यह खबर फैलने लगी कि स्वयं अधिकारी और कर्मचारियों ने पर्यावरण तथा नदी जल की शुद्धता हेतु सेवा अभियान के जरिए योगदान दिया है। हर सरकारी विभाग के अन्य अधिकारी कर्मचारी अपनी सेवा देने हेतु अनुमति मांगने लगे। एक एक दिन एक एक विभाग के लोगों के लिए निर्धारित करना आवश्यक हो गया। कृषि विभाग, लोक निर्माण विभाग, बिजली कंपनी तथा बैंकों के अधिकारी कर्मचारी आदी ने नदी घाट पर स्वच्छता के लिए श्रमदान किया। सायं आरती के बाद अभियंता श्री धर्मेंद्र गोड़े की देखरेख में नदी की सफाई भी जारी रही।
उधर, पाठशालाओं से स्कूली छात्रों के निवेदन भी प्राप्त होने लगे । एन एस एस के छात्र, सी व्ही रमन कॉलेज, भगवंतराव कला महाविद्यालय, श्रीनिवास प्रशाला, सिरोंचा सेवा समिति, राजे धर्मराव महाविद्यालय, तथा नेहरू युवा केंद्र से युवा वर्ग ने अपनी सेवाऐं दीं।
श्री शिकतोडे कहते हैं, ‘यह देखना बेहद रोचक अनुभव था, कि हम सबके मात्र एक कदम ने कई लोगोंको प्रेरित किया । अभियान का यह बढ़ता स्वरूप देख कर यात्री गण, श्रद्धालु, स्नान करने वाले, पूजा विधि करने वाले और पंडित पुरोहित आदी भी कचरा बीन का वापर करने लगे और कचरा हटाने में हाथ बांटने लगे।’
सच कहा जाए तो स्वछता के लिए सामूहिक योगदान का इस तरह का उदाहरण अनोखा है जिसकी कोई तुलना नहीं की जा सकती।
गडचिरोली जिला प्रशासन ने ऐसे की तैयारी।
सिरोंचा पुष्कर कुंभ की तैयारीयां वैसे तो चार माह से जारी थीं लेकिन उदघाटन समारोह से पूर्व दो तीन सप्ताहोमें कार्य में तेजी लाने हेतु तमाम टीमें दिन रात लगी रहीं। पूर्व तैयारियों का जायजा लेने कई बार जिलाधिकारी श्री मीणा सिरोंचा पहुंचे। महाराष्ट्र के नागरी विकास मंत्री तथा गड़चिरोली के जिला पालकमंत्री श्री एकनाथ शिंदे ने भी तैयारियोंका अवलोकन किया था और सूचनाएं दी थीं।
एकनाथ टिकले महाराष्ट्र लोकनिर्माण विभाग के सहायक अभियंता (प्रथम श्रेणी) हैं। वे अपनी टीम के साथ लगातार कार्य की प्रगति और गुणवत्ता पर नजर बनाए थे। उन्होंने बताया, कि कई सुविधाओं का पहली बार यहां निर्माण किया गया जैसे, प्राणहिता पुष्कर के दौरान पहली बार पुरुष तथा महिलाओंके लिए पर्याप्त संख्या में स्वतंत्र शौचालय, बाथरूम, ओपन शॉवर, कव्हर्ड शॉवर तथा चेंजिंग रूम्स आदी दिखाई दिए। इस से स्नान के लिए लोगोंको अधिक प्रतीक्षा करने की नौबत नहीं आई। इसके अलावा शहर में नया रस्ता, दिशा दर्शक बोर्ड, सूचना फलक, शुद्ध पेय जल, अलग अलग स्थानोंपर गीला तथा सूखा कचरा बिन इत्यादी का प्रबंध किया गया था।
दर्शक दीर्घा, कई तरह के तंबू और शेड्स, पूजा साहित्य के स्टॉल्स, सिरोंचा में प्राणहिता नदी पर प्राणहिता घाट और नगरम घाट इन दोनों स्थानोंपर व्यवस्था, नए रास्तोंका निर्माण, स्नान करने हेतु आए श्रद्धालुओं की सुरक्षा हेतु स्वयंचलित रेस्क्यू बोट्स, रेस्क्यू गार्ड टीम की तैनाती, एम्बुलेंस, नियंत्रण कक्ष, सहायता केंद्र, पोलिस वॉच टॉवर आदी द्वारा विशेष प्रबंधन किया गया था।
पुष्कर पर्व के दौरान उपलब्ध की गई व्यवस्थाओंका श्रद्धालुओं ने खूब लाभ उठाया और प्रसन्नता व्यक्त की।
क्या कहा श्रद्धालुओं ने ?
यहां पढ़िए इंडिया इनपुट टीम से कुछ यात्रियों ने क्या कहा:
साई मण कंठ शास्त्री, तिरुपति: मैं यहाँसे साढ़े सात सौ किमी दूर तिरुपति से आया हूं। यहां इस बार अच्छी सुविधा है। यहां विशेष रुप से युवा वर्ग ने आकर स्नान किया यह देख मुझे अच्छा लगा।
शिव शास्त्री, हैदराबाद: यहां इस बार सड़क है, शौचालय है, टेंट है, सब सुविधा है। तेलंगाना से बेहतर सुविधा महाराष्ट्र में की गई है। महाराष्ट्र सरकार और जिलाधिकारी को अनंत धन्यवाद। बहोत अच्छा काम किया है।
सुश्री किरण कुलसंगे, सिरोंचा: मैं यहां बारह वर्ष पूर्व आई थी। इस बार काफी सुनियोजित ढंग से प्लानिंग की गई है। महिलाओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो इसका विशेष ध्यान दिया गया है। चेंजिंग रूम, शॉवर हैं। जिलाधिकारी साहब के प्रति विशेष आभार।
हरबंस सिंग गलगत, गड़चिरोली: कोरोना और लॉकडाउन के चलते दो वर्ष सब परेशान रहे। अब कोरोना के जाने के बाद इस पर्व के आनेसे हम यहां आ सके हैं। दोबारा जीवन पुनः सामान्य हो सका इसका आनंद है।
क्यों मनाया जाता है पुष्कर पर्व ?
पुष्कर माने वह जो पोषित करता है। भारतवर्ष की प्राचीन बारह प्रमुख पवित्र नदियोंके तट पर तीर्थ स्थलों में भारतीय परंपरा अनुसार बारह वर्ष बाद पुष्कर पर्व पर उत्सव तथा यात्रा का आयोजन होता हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरु ग्रह के स्थान अनुसार पुष्कर पर्व तय होता है। प्राणहिता अथवा परिणीता नदी का पुष्कर पर्व पुष्करलु भी कहा जाता है। गुरु अर्थात बृहस्पति के मीन राशि में प्रवेश करने पर यह मनाया जाता है।
इस दौरान स्नान तथा दर्शन के अलावा, इस दौरान नदियोंका पूजन, पूर्वजोंका स्मरण तथा पूजन, आध्यात्मिक प्रवचन, भक्ति संगीत तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस अवसर पर स्नान, दान, जप, अर्चना, ध्यान इन कर्मोंका अपना महत्व है।