यू पी पुलिस ने ४ मई को किया एक और एन्काउंटर। आधुनिक हथियारोंसे लैस अनिल दुजाना पुलिस पर गोलियां बरसा रहा था। क़ानून और सुव्यवस्था को चुनौती देते अनिल को मौत मिली। लेकिन, कोई विरोध प्रदर्शन नहीं, पुलिस पर आरोप नहीं और टी वी पर कोई बहस नहीं। अर्थात कोई ‘हो हल्ला’ नहीं। लगभग तीन हफ्ते पूर्व उत्तर प्रदेश के झाँसी में माफिया अतीक अहमद के गैंगस्टर बेटे असद अहमद की एन्काउंटर में मौत हुई तब और ही आलम था। उत्तर प्रदेश की क़ानून व्यवस्था पर तथा राज्य की योगी सरकार पर सवालिया निशान लगाए जा रहे थे।
(इंडिया इनपुट ब्यूरो)
यू पी पुलिस के संग एन्काउंटर में गैंगस्टर अनिल दुजाना की मौत हुई। यह घटना ४ मई २०२३ गुरुवार की है। दुजाना पर अठारह हत्याओं समेत लगभग साठ से भी अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे। उसके पास आधुनिक हथियार पाए गए।
यू पी पुलिस की गोलियोंका ताजा शिकार बने अनिल दुजाना का असली नाम था- अनिल नागर। ग्रेटर नोएडा के दादरी इलाके से दुजाना गाँव का रहनेवाला था। लिहाजा, अनिल दुजाना के नाम से पुकारा जाने लगा था। उसे जुर्म की दुनिया में पश्चिमी उत्तर प्रदेश का ‘छोटा शकील’ कहा जाता था। नोएडा याने गौतम बुद्ध नगर समेत गाज़ियाबाद, दिल्ली एन सी आर तथा हरियाणा में भी उसकी खासी दहशत थी। दुजाना अभी दस अप्रैल को जेल से छूट कर आया था और उसने उसके खिलाफ गवाही देनेवालोंको ठेठ माफिया स्टाइल में धमकाना शुरू कर दिया था।
यू पी पुलिस का ‘वो’ एन्काउंटर।
करीब तीन सप्ताह पूर्व, इसी वर्ष १३अप्रैल २०२३ के दिन एक और एन्काउंटर हुआ था। उत्तर प्रदेश के झांसी में कुख्यात माफिया अतीक अहमद के गैंगस्टर बेटे असद अहमद और उसके साथी गुलाम ने पुलिस पर गोलीबारी की और जवाबी फायरिंग में मारे गए। असद अहमद उमेश पल हत्या मामलेमें ‘वॉन्टेड’ था और उसपर पांच लाख रुपयोंका इनाम घोषित था।
अतीक के आत्मसमर्पण के बाद से तीसरा बेटा असद उसकी गैंग चला रहा था। उसके मारे जाने पर उत्तर प्रदेश के विरोधी दलोने खासकर समाजवादी पार्टी ने पुलिस ऐक्शन का विरोध जताया था।
ठीक दो दिनों बाद १५ अप्रैल की रात अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की पुलिस हिरासत में हमलावरोने ह्त्या की। प्रयागराज के अस्पताल वैद्यकीय जांच हेतु ले जाते समय पत्रकारोंका स्वांग रचकर आये तीन युवा हमलावरोने करीब से ताबड़तोड़ गोलियॉं चलाकर दोनोंको ढेर कर दिया। तब और भी जोरोंसे सवाल उठाये गए। जाहिर हैं, यह घटना पुलिस हिरासत में होने की वजहसे आश्चर्य होना अपेक्षित भी था। किन्तु, कुख्यात माफिया के प्रति जिस तरह का समर्थन समाजवादी पार्टी के शीर्षस्थ नेताओंने दिखाया, वह समझ से परे था।
इन घटनाओंकी आड़ में टी वी और अन्य मिडिया में साम्प्रदायिक रंग से सराबोर खूब बहस चली। योगी आदित्यनाथ और उनकी पुलिस पर खूब सवाल उछाले गए। ख़ास बात यह, कि ये सब सवाकर्ता अनिल दुजाना के एनकाउंटर के बाद नदारद हैं। हम आगे कुछ आंकड़े दे रहे हैं। हर एन्काउंटर में हिन्दू मुस्लिम ऐंगल ढूंढने की जिन्हे आदत पड़ी है शायद उन्हें ये आंकड़े मायूस कर जाएंगे। आगे पढ़ते जाइये।
यू पी पुलिस के ताजा आंकड़े क्या कहते हैं?
इस घटना के पूर्व तक यू पी पुलिस ने छह वर्षोंमें (२०१७-२०२३) क्या कुछ किया, आइये, डालें नजर:
खूँखार अपराधियों और माफियाओंके खिलाफ १० हजार ९३३ ऑपरेशन्स को अंजाम दिया।
२३ हजार ३४८ को हिरासत में लिया। इनमें शामिल हैं -गैंगस्टर्स, असामाजिक तत्व और गुनह्गार।
पुलिस एनकाउंटर्स में १८६ गैंगस्टर्स की मौत हुई। वैसे गैंगस्टर्स अर्थात गुनह्गारोंकी जाती या धर्म देखना कोई अक्लमंदी की बात नहीं। लेकिन, कोई इन गैंगस्टर्स की पार्श्वभूमि देखना चाहे, तो आइये उसे यह भी बता दें, कि इनमें १२६ हिन्दू थे और ५७ मुस्लिम।
पिछले छह वर्षोंमें उत्तर प्रदेश की क़ानून व्यवस्था में भारी तबदीली आयी है। अपराधियोंमें पुलिस का और बुलडोज़र का खौफ बढ़ा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली की आलोचना करनेवाले इन बातोंपर खामोश हैं।
यू पी पुलिस की आधिकारिक वेबसाईट (official website of Uttar Pradesh Police): https://uppolice.gov.in/
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(Featured image: pexels.com)