RESEARCH: लैपटॉप की बैटरी को लंबे समय तक ऐसे चलाएँ।
पक्षी जैसे उड़ने वाले रोबोट और कुछ अन्य खबरें। जानिए, कुछ ताजा रिसर्च के बारे में।
RESEARCH अर्थात
शोध की दुनिया से
कुछ दिलचस्प ख़बरें
आपके लिए।
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लैपटॉप की बैटरी को लंबे समय तक चलाने का आसान तरीका!
आपके लैपटॉप की बैटरी, ठीक उसी तरह जैसे दूसरी लिथियम-आयन बैटरियां, समय के साथ धीरे-धीरे खराब होती रहती हैं। लेकिन, इसकी उम्र बढ़ाने का एक आसान तरीका है। बैटरी को हमेशा 40% से 80% के बीच चार्ज करके रखें। ये सलाह ‘बैटरी यूनिवर्सिटी’ की है, जो बैटरियों के बारे में जानकारी देने वाली एक प्रमुख वेबसाइट है। ये वेबसाइट ‘कैडेक्स’ नाम की कंपनी चलाती है, जो ‘अमेज़ॅन’ और ‘मोटोरोला’ जैसी बड़ी कंपनियों को उनकी बैटरियों का बेहतर इस्तेमाल करने में मदद करती है। तो याद रखें, अपनी लैपटॉप की बैटरी को ज़्यादा समय 40 से 80 प्रतिशत के बीच चार्ज रखें, ताकि वो ज़्यादा दिनों तक टिके।
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने बनाए पक्षी जैसे उड़ने वाले रोबोट!
अमेरिका के यूनिवर्सिटी ‘न्यू मेक्सिको टेक’ के वैज्ञानिकों ने पक्षियों से प्रेरित होकर उड़ने वाले रोबोट बनाए हैं, जिन्हें ‘टेक्नो-टैक्सीडर्मि मॉडल’ कहा जाता है। हालांकि, अभी तक ये रोबोट असली पक्षियों की तरह उतने अच्छे से उड़ नहीं पाते हैं। वे हवा में तैर सकते हैं, थोड़ा ऊंचा उड़ सकते हैं, और गर्म हवा के प्रभाव में आने पर थोड़ा ऊपर जा सकते हैं। ये पक्षी जैसे रोबोट भविष्य में कई कामों के लिए उपयोगी हो सकते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इनका इस्तेमाल जासूसी ड्रोन की तरह भी किया जा सकता है, लेकिन असल में इनका उद्देश्य ‘वन्यजीवों की निगरानी के लिए प्रकृति-प्रेमी ड्रोन’ बनाना है। पुराने ड्रोन शोर और अनजान होने के कारण वन्यजीवों को परेशान करते हैं, इसलिए वैज्ञानिक ऐसे ही चुपचाप उड़ने वाले और प्राकृतिक दिखने वाले ड्रोन बना रहे हैं, ताकि जंगली जानवरों की निगरानी और उनके बारे में जानकारी आसानी से मिल सके।
परिवारों के बदलते स्वरूप: प्रभाव और चिंताएं!
परिवारों का आकार कम हो रहा है, दुनिया भर में, लोग अधिक समय तक जीवित रह रहे हैं और कम बच्चे पैदा कर रहे हैं। 2095 तक, 65 वर्ष की महिला के औसतन 25 जीवित रिश्तेदार होंगे, जो 1950 में 41 और 2023 में 43 थे। कम परिवार मतलब कम देखभालकर्ता। छोटे परिवारों का मतलब है बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल करने वाले लोगों की कमी। यह उन देशों में विशेष रूप से चिंताजनक है जहां सामाजिक सुरक्षा या अन्य संस्थागत सहायता प्रणाली कमजोर है।
महिलाओं पर बोझ बढ़ रहा है। अक्सर, महिलाएं ही घरवालों की देखभाल के लिए नौकरी छोड़ देती हैं। यह लैंगिक समानता को बाधित करता है और महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता को कम करता है।
परिवर्तन की अपेक्षा करते हुआ समाज अब तक इस उम्मीद पर टिका हुआ था कि परिवारों का मजबूत सहयोग हमेशा रहेगा। जर्मनी के ‘मैक्स प्लांक इंस्टिट्यूट फॉर डेमोग्राफिक रिसर्च’ के अनुसार, ‘यह निकट भविष्य में बदलने वाला है’।
(Content: http://www.nuutan.com)
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