Ayodhya मंदिर: ऐसा है आस्था और इंजीनियरिंग का अद्भुत जोड़ !
श्री राम जन्मभूमि मंदिर की नींव 1000 वर्षों तक चलने के लिए डिज़ाइन की गई है। कैसे? पढ़िए सरल विवरण!
Ayodhya श्री राम जन्मभूमि मंदिर है, आस्था और इंजीनियरिंग का अद्भुत जोड़! क्या है इसकी अभियांत्रिकी विशेषताएँ , पढ़िए http://www.nuutan.com द्वारा संशोधन पूर्ण इस विशेष लेख में। आप भी कहेंगे, टिकाऊ मजबूती वाली शक्ति इसे कहते हैं!
श्री राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण के लिए आर्किटेक्चरल डिजाइन सर्विसेज प्रदान करने का काम सी. बी. सोमपुरा नामक कंपनी द्वारा संभाला जा रहा है। मंदिर के निर्माण का कार्य लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड (एलएंडटीएल) कंपनी द्वारा संचालित हो रहा है। टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स लिमिटेड (टीसीईएल) कंपनी ‘प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट’ के रूप में अपनी भूमिका निभा रही है। टीसीईएल एक तरह से मंदिर निर्माण के पूरे प्रोजेक्ट का ‘सुपरवाइजर’ है और उनकी प्रमुख जिम्मेदारी है कि मंदिर का निर्माण समय सीमा, बजट के हिसाब से, और उच्च गुणवत्ता के साथ पूरा हो।
मंदिर का स्ट्रक्चर पारंपरिक ‘नागर’ स्टाइल में है, जो उत्तर भारतीय हिंदू मंदिरों की एक विशेष शैली है। इसमें मंदिर का ढांचा वर्गाकार होता है और शिखर त्रिकोणीय होता है। प्रवेश द्वार बड़ा और दीवारों पर मूर्तियां होती हैं।
मंदिर के चारों ओर एक दीवार बन रही है जिसे ‘परकोटा’ कहा जाता है! दीवार के अंदर आसपास, छह अलग-अलग मंदिर होंगे, जिनमें से प्रत्येक एक अलग भगवान या देवी को समर्पित होगा। मंदिर का निर्माण पारंपरिक पत्थरों से हो रहा है, जिसमें सैंडस्टोन, ग्रेनाइट, मिर्ज़ापुर-स्टोन और मकराना मार्बल शामिल है।
(1) मंदिर का फाउंडेशन (नींव):
नींव बनाने में लोहे का इस्तेमाल नहीं हुआ है क्योंकि लोहा में जंग लग सकता है और मंदिर के आधार को कमजोर कर सकता है।
मंदिर का नींव 1000 वर्षों तक टिके रहने के लिए खास रूप से बनाया गया है। नींव को समान रूप से जमीन पर फैलाकर बनाया गया है ताकि वह समय के साथ बदलने वाली ज़मीन की गतियों के साथ सही रूप से मेल खाए और धंसन नहीं हो, इससे मंदिर दीर्घकालिक रूप से स्थिर रहेगा।
अगर नींव जमीन का धंसना है, तो मंदिर के स्तंभों के बीच एक अंतर आ सकता है, इससे मंदिर को नुकसान हो सकता है। उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि मंदिर के दो स्तंभों के बीच जमीन का धंसना 1 इंच है। इसका मतलब है कि एक स्तंभ जमीन से 1 इंच नीचे है, जबकि दूसरा स्तंभ 1 इंच ऊपर है। इससे मंदिर की दीवारें मुड़ सकती हैं या टूट सकती हैं।
भूकंप के खतरे वाले ज़ोन IV को ध्यान में रखते हुए मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। भूकंप के जोखिम को कम करने के लिए मंदिर का नींव एक मजबूत चट्टान की तरह बनाया गया है, जो भूकंप के समय मजबूती से खड़ा रहने में मदद करता है।
(1.1) नींव बनाने से पहले क्या समस्या आइ थी?
मंदिर सरयू नदी के किनारे स्थित है, लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर। इस क्षेत्र में सालों से ‘सिल्ट’ जमा होती रही है।
सिल्ट नदी से बहकर आने वाली मिट्टी और अन्य पदार्थों का मिश्रण होता है। यह नदी के किनारे के क्षेत्रों में जमा हो जाती है। सिल्ट की गुणवत्ता कमजोर होती है, इसलिए इसे मजबूत नींव बनाने के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है।
मंदिर की नींव बनाने से पहले, विशेषज्ञों की एक समिति ने मिट्टी की जांच की। समिति ने पाया कि मिट्टी की गुणवत्ता कमजोर है।
(1.2) मिट्टी की जांच कैसे की गई?
24 बोरहोल खोदे गए ताकि मिट्टी की जांच की जा सके। इन बोरहोलों की गहराई अलग-अलग थी, कुछ तकरीबन 120 मीटर तक गहरे भी थे। इन बोरहोलों के माध्यम से विभिन्न स्तरों की मिट्टी के नमूने लिए गए और उनका विस्तार से विश्लेषण किया गया।
(1.3) ‘इंजीनियरिंग-फिल’ द्वारा समाधान किया गया
समिति ने सुझाव दिया कि 8-11 मीटर गहरी मिट्टी को हटा दिया जाए और उसकी जगह उच्च-गुणवत्ता वाले मिट्टी के मिश्रण से भरी जाए। इस विशेष मिश्रण को ‘इंजीनियरिंग-फिल’ कहा जाता है, जिसे मंदिर की भार-वहन क्षमता बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया था।
(1.4) ‘इंजीनियरिंग-फिल’ प्रोसेस कैसा किया गया था?
इसके लिए ‘रोलर कंपैक्टेड कंक्रीट (आरसीसी)’ का उपयोग किया गया है, जिसकी ‘कंप्रेसिव-स्ट्रेंथ’ लगभग 3 मेगापास्कल (एमपीए) था।
आरसीसी एक प्रकार की कंक्रीट होता है जिसे रोलर्स का उपयोग करके कॉम्पैक्ट (जमाया) किया जाता है। यह आमतौर पर भूकंप प्रतिरोधी संरचनाओं के निर्माण में उपयोग किया जाता। ‘कंप्रेसिव-स्ट्रेंथ’ का मतलब है कि कंक्रीट कितना दबाव सहन कर सकता है।
आरसीसी की ‘कंप्रेसिव-स्ट्रेंथ’ लगभग 3 मेगापास्कल था। मेगापास्कल एक यूनिट (इकाई) होता है जिसका उपयोग दबाव को मापने के लिए किया जाता है। 3 मेगापास्कल की ‘कंप्रेसिव-स्ट्रेंथ’ वाले कंक्रीट को समझाने के लिए, यह कहा जा सकता है कि यह लगभग 43000 पाउंड प्रति वर्ग इंच (स्क्वायर-इंच) के दबाव को सहन कर सकता है। 1 मेगापास्कल लगभग 14500 पाउंड प्रति वर्ग-इंच के बराबर होता है।
नींव बनाने के लिए, आरसीसी को 48 से 56 परतों में डाला गया है। प्रत्येक परत 300 मिमी मोटी थी। रोलर से दबाने के बाद, प्रत्येक परत की मोटाई 250 मिमी रह गई। मंदिर की नींव के निर्माण के लिए कुल 132219 क्यूबिक मीटर ‘इंजीनियरिंग-फिल’ का उपयोग किया गया था। खोदी गई ढलानों को बारिश और मिट्टी से बचाने के लिए उन्हें तिरपाल शीट और रेत की बोरियों से ढंका गया था। इसका कुल क्षेत्रफल (एरिया) 2.25 लाख वर्ग-फीट था।
‘इंजीनियरिंग-फिल’ के मिश्रण को बनाने में ‘फ्लाई-ऐश’ का भी उपयोग किया गया था। ‘फ्लाई-ऐश’ एक महीन धूल जैसा पदार्थ होता है, जो सीमेंट के समान गुणों वाला होता है। इसे कंक्रीट में जोड़ा जा सकता है ताकि सीमेंट की मात्रा को कम किया जा सके और कंक्रीट की गुणवत्ता में सुधार कर इसे ज्यादा मजबूत और टिकाऊ बनाया जा सके।
‘सेटलमेंट एनालिसिस’ भी किया गया था। इस परीक्षण के द्वारा यह निर्धारित किया गया कि मंदिर के भारी होने के कारण जमीन कितना नीचे बैठ सकती है। भू-तकनीकी इंजीनियरिंग में काम करने वाले ‘प्लैक्सिस’ सॉफ़्टवेयर का भी उपयोग हुआ था।
इस काम को केवल 5.5 महीनों में पूरा कर लिया गया था, बरसात के मौसम में भी काम रुकने नहीं दिया गया और समय से पहले ही पूरा कर लिया गया।
(1.5) नींव के दो महत्वपूर्ण हिस्सा
मंदिर का नींव दो महत्वपूर्ण हिस्सों से बना है:
(1.5A) राफ्ट
मंदिर का नींव एक मजबूत तख्ते की तरह है, जिसे ‘राफ्ट’ कहा जाता है। इस ‘राफ्ट’ को 35 या इससे अधिक ग्रेड के कंक्रीट से बनाया गया है, और इसे 56 दिनों तक सूखने के बाद तैयार किया गया है। ’35 ग्रेड के कंक्रीट’ का मतलब है कि यह कंक्रीट 35 मेगापास्कल की ‘कंप्रेसिव-स्ट्रेंथ’ रखता है। यही ‘राफ्ट’ मंदिर का पूरा वजन उठाएगा और उसे जमीन पर स्थिर रखेगा।
(1.5B) चबूतरा
श्री राम मंदिर के चबूतरे का निर्माण ग्रेनाइट पत्थरों से किया गया है। यह चबूतरा 21 फीट ऊंचा है और मंदिर को जमीन की नमी से बचाएगा। चबूतरे के निर्माण में लगभग 17,000 ग्रेनाइट पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। प्रत्येक पत्थर की लंबाई 5 फीट, चौड़ाई 2.5 फीट और मोटाई 3 फीट है।
(2) भक्ति और समर्पण के साथ, श्री राम जन्मभूमि मंदिर का नींव
श्री राम जन्मभूमि मंदिर का नींव, भगवान के प्रति श्रद्धाभाव से सहित, 1000 वर्षों तक चलने के लिए एक अद्वितीय और भावनात्मक डिज़ाइन से सजीव है।
(लेख सौजन्य: http://www.nuutan.com)
(images: internet & social media)
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