Dancing Uncle: ‘डांसिंग अंकल’ अर्थात ‘दि डब्बू अंकल स्टोरी’!
प्रोफेसर से 'डान्सिंग स्टार' : सोशल मीडिया क्या कर सकता है !

Dancing Uncle (डांसिंग अंकल) टाइप करें और आप इंटरनेट पर ढूंढिए तो उनके ढेर सारे फोटोज और वीडियोज सामने आएंगे। सोशल मीडिया कैसे एक दिनमें सबकुछ बदल सकता है ! डांसिंग अंकल संजीव श्रीवास्तव ‘डब्बू अंकल’ ने बताया, उन्होंने कैसे पूरा किया रातोंरात ‘डान्सिंग स्टार’, सेलिब्रिटी तक का सफर।
इंडिया इनपुट डेस्क।
वर्ष २०१८ के गर्मी के दिन। ‘यू ट्यूब’ और अन्य सोशल मिडिया मंचोंपर एक नए सेंसेशन ने तहलका मचा दिया । करीब पचास वर्ष की आयुवाले इस शख्स ने अपनी डान्स की धुन से धूम मचा दी। गोविंदा अभिनीत ‘खुदगर्ज’ फिल्म के ‘आपके आ जाने से..’ इस गानेपर डान्स करते हुए उस शख्स की ऊर्जा, फुर्तीले स्टेप्स और बेझिझक मुव्हज ने एक खुशनुमा अनुभूति दिलाई। मानो, सबके सामने जिंदगी को खुलकर और भरपूर जीने का अहसास ताजा कर दिया। नाम : संजीव श्रीवास्तव उर्फ़ डब्बू अंकल। भोपाल की भाभा यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग के इन प्रोफेसर साहबको सोशल मीडिया ने रातोरात न सिर्फ स्टार बना दिया, बड़ी शोहरत दिलाई बल्कि एक बड़े स्टार द्वारा बुलवाकर मुंबई फ़िल्मइंडस्ट्री में मजबूतीसे खड़ा कर दिया।

ये कुछ इनके डान्स का कमाल था और कुछ सोशल मीडियाका, कि बड़े बड़े स्टार्स इन्हे मिलकर तस्वीरें खिंचवाते दिखे और इनको प्रोत्साहन देते दिखाई दिए।आज उस डान्स व्हिडिओ को संजीव श्रीवास्तव के यूट्यूब चॅनेल पर करीब साढ़े आठ करोड़ व्ह्यूज़ मिल चुके हैं और इस चॅनेल के साढ़े पांच लाख से अधिक सब्सक्राइबर्स हैं। साढ़े तीन वर्ष बाद उसी सफर के रोमांचक पल संजीव जी ने indiainput.com के साथ साझा किए।
उनके शब्दोंमें :
‘ये व्हायरल होना क्या होता है, भई ?’
जी हां । व्हायरल होना क्या होता है, इसकी भी तब मुझे जानकारी नहीं थी । हुआ यूं, कि मेरे साले साहब की शादी थी। ससुराल में भी हमेशा ये रहा है, कि कोई भी फंक्शन हो डब्बू जीजाजी का डान्स तो होना ही है। और तो और, वो लास्ट में ही होता था। इस बार डान्स में एक नई बात हुई शायद जिसके चलते बात इतनी दूर गईं। मैंने वाईफ से कहा, -‘एक काम करो, आज तुम भी चलो। ‘ बस यही था। हम दोनों स्टेज पर आए । बाकी सब आप देख चुके हैं। वैसे व्हिडीओ शूटिंग जो होती है शादियोंमे, वो तो थी ही। लेकिन, हाँ मोबाईल फोन, स्मार्ट फ़ोन वगैरह में किसने किसने शूट किया और फिर किसने यूट्यूब पर पहले अपलोड किया, यह मुझे आज तक नहीं पता। मैं नहीं जानता, कि सोशल मीडियापर किस ने व्हायरल किया । मुझे आज भी नहीं पता। कई लोग जो मुझसे स्नेह रखते हैं वो भी बताते हैं की उन्होंने अपलोड किया था। ये उनका प्यार है। किन्तु वो पहला शख्स कौन हैं जिसने अपलोड कर व्हायरल होने की शुरुआत की – ये मैं नहीं जानता। आज तक यह मेरे लिए एक रहस्य है। तब मैं सिर्फ व्हाट्सएप और फेसबुक जानता था। ये नहीं जानता था कि इंस्टाग्राम क्या होता है, यूट्यूब क्या चीज है। उतना समय भी नहीं था और उनपर कभी ध्यान गया भी नहीं था। व्हायरल हो जाना याने क्या हो जाना होता है, यह भी मुझे अज्ञात था। फिर मैं एक सुबह बाइक पर था, काम पर जा रहा था, जब मेरा फोन बजना शुरू हुआ। मुझे लगातार कॉल आना शुरू हो गया था। मैंने सोचा, कि कुछ न कुछ बैड न्यूज है। कोई न कोई जबरदस्त गलत चीज सुनने वाले हैं। मैं हेलमेट पहने था। सोचा कॉलेज जाकर देखते हैं । कॉल बैक करते हैं। कॉलेज पहुंचकर मैंने अपना थम्ब इम्प्रेशन देकर अटेंडेंस दिया और फोन देखने लगा। मोअर दैन सेवेंटी टू टू एटी मिस्ड कॉल्स थे उसमे। पहला कॉल बैक किया। उसने कहा, -‘ तेरा डांस का विडिओ चल रहा है।’ वैसे मैंने कई साथियोंकी शादियोंमें डान्स किया था। मुझे लगा उसकी शादी का कोई व्हिडिओ देख रहे होंगे, कोई बात नहीं। मैंने कॉल कट किया। दूसरा कॉल। फिर वही बात। यह भी उनकी शादी का व्हिडिओ देख रहे होंगे। मैं कॉल कट करता गया। हर कॉल वही बात। फिर मेरी पत्नी का कॉल आया। तब मामला और गंभीर हो गया ।
‘तू व्हायरल हो गया है।’
उन्होंने बताया कि,-‘आपको मालूम है, एक चक्कर हो गया है। एक मैटर जबरदस्ती का उछल गया है। ‘ मैंने पूछा, -‘क्या हो गया?’ वो कहने लगीं कि, -‘शादी में डान्स का अपना कोई व्हिडिओ चल रहा है.. डर है, कहीं कुछ गलत न हो जाए। ‘ वो चिंतित हो रहीं थीं। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। मैं शॉक्ड था। इतने में हमारे कॉलेज के तमाम डिपार्टमेंट्स के लोग वहीँ आ गए। कहने लगे, -‘बधाई हो, बहोत अच्छा डान्स किया। ‘ मैं हैरत में था। पूछने लगा कि क्या बात हो गई ? इतनेमें मैंने देखा कि फॉरेन में मेरा एक दोस्त है, उसका भी मिस्ड कॉल पड़ा है। मैंने कॉल बैक किया तो वह बताने लगा कि,-‘ यहां तेरा एक व्हिडिओ चल रहा है यु एस ए में।’ मैंने पूछा ‘ये क्यों हो रहा होगा ?’ उसने कहा,’तू व्हायरल हो गया है। ‘
मैंने पूछा, ‘ये व्हायरल होना क्या होता है.. अच्छी बात होती है या बुरी?’
वो कहने लगा, ‘नहीं नहीं ! बहोत अच्छी चीज है। ‘
मेरे एक साले साहब की पत्नी इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से हैं। उनसे बात करने पर पता चला, कि साले साहब की शादी में किए डान्स का व्हिडिओ काफी लोग देख रहे हैं और ये कोई बुरी बात नहीं है। क्योंकि, मैं प्रोफेसर हूँ, तो यह भी ध्यान रखना पड़ता है कि, बच्चोंपर मेरा क्या इम्प्रेशन जायेगा। मेरे बॉस हैं श्री प्रसाद पिल्लई जी। वे केरला से हैं। वे कहने लगे कि , ‘संजीव, केरल से मेरे रेलेटिव्हज का फोन आया है। तुमने तो गज़ब कर दिया भई।’
विदिशा से भोपाल मैं ट्रेन से आप डाऊन भी करता हूँ। ४५ मिनिटोंका सफर होता है। शाम मैं स्टेशन पहुंचा घर जाने तो वहाँ लोग गाजे बाजे के साथ, फूल मालाओं के साथ मेरे लिए पहुंचे थे। यही बात विदिशा में दिखाई दी। घर पर मिडिया वाले पहुंचे थे। कहने लगे, ‘भैय्या, हमने कल आपका इंटरव्यू लेना है, लाइव्ह।’ मैंने कहा, ‘लेकिन कल भी मैं सुबह साडे छह बजे भोपाल निकलूंगा प्रतिदिन की तरह।’ वो बोले, ‘ठीक हैं हम पांच बजे आ जायेंगे।’ मैंने पूछा, ‘इतनी सुबह? ऐसी भी क्या बात है?’
खैर, सुबह मैंने देखा, कि लगभग हर मिडिया चॅनेल की बड़ी गाड़ियां और बसें मेरे घर के सामने पार्क होने लगीं। मैंने वाईफ से कहा कि, ‘शायद सी एम साहब आज शहर में हैं या शहर आ रहे हैं। मेरा लंच बॉक्स जल्दी दे दो वर्ना इस ट्रेफीक में मेरी ट्रेन मिस हो जाएगी।’ आपको पता होगा कि, हमारे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान विदिशा से ही हैं। इतने में सारे मीडियावाले ऊपर आए और कहने लगे कि,’ हम किसी और के लिए नहीं आपके लिए ही आए हैं। और आज आप कहीं जा नहीं पाएंगे।’
..और फिर वो सिलसिला शुरू हुआ -वह दौर चल पड़ा कि, तीन चार दिन चलता रहा। करीब दो सौ से अधिक इंटरव्ह्यूज हुए । आप सब ने टी व्ही पर देखा है। मेरे दोस्त दीपक श्रीवास्तवजी, जो मेरे साथ होते हैं, उन्होंने बताया कि, ‘सुनील शेट्टी जी का फोन है।’

मैंने इंटरव्ह्यूव रोक कर फोन लिया। उन्होंने कहा, -‘ तुरंत मुंबई आ जाइए आप। ‘ पहले शख्स वे ही थे जिन्होंने मुझे बुलाया था। मैं गया। उनसे बात हुई। उन्होंने कुछ सलाह दी। लेकिन, मुझे मुंबई शिफ्ट करना सम्भव न था। माता पिता को छोड़ कर या बच्चोंका भविष्य दांव पर लगाकर यह नहीं हो सकता था। सुनील जी ने कहा कि,-‘तुम यहां आ जाओ, भगवान् ने तुम्हे अपॉर्च्युनिटी दी है।’ मैंने कहा, -‘सर, अपॉर्च्युनिटी तो रेस्पॉन्सिबिलिटी की भी है। सर, मैं जो भी कर सकता हूँ, भोपाल विदिशा से ही कर सकता हूँ।’ तो उन्होंने कहा,-‘ठीक है, फिर भी मैं तुम्हारा काम करवाऊंगा।’ फिर उन्होंने मुझे एक मूवी भी ऑफर किया जिसका शीर्षक था, ‘मोतीचूर-चकनाचूर’ जिसमें उनकी बेटी की प्रमुख भूमिका थी। लेकिन, मैं मुंबई नहीं पहुँच पाया था। सो नहीं कर सका।

गोविंदा जी से पहली बार मुलाकात हुई तो उन्होंने कहा, -‘ इतने लोग मेरी स्टाइल कॉपी कर चुके हैं, लेकिन तुम जो करते हो वो सबसे बेस्ट हैं।’
मुझमे और गोविंदा जी मे कुछ एक समानताएं भी हैं। वो भी भगवान् की पूजा करते हैं और अपनी माँ के भक्त हैं।
उनके साथ ‘डान्स दीवाने’ शो किया। माधुरी जी, जॉन अब्राहम, सलमान खान के साथ मुलाकातें हुईं। एक दौर शुरू हुआ। करिश्मा जी और शिल्पा शेट्टी जी के साथ विज्ञापन फ़िल्में हुईं। तमाम स्टार्स चाहे वो सुनील शेट्टी हों जिन्होंने मुझे मुंबई बुलाया , चाहे गोविंदा हों या जॉन अब्राहम जी..सारे मुझे – डाउन टू अर्थ – दिखे। सेट पर वो आपको ‘खाना खाये की नहीं, चाय ली की नहीं’- ये सब पूछते रहते हैं।
मैंने जब सलमान खान साहब को बताया कि लोग मुझसे एग्रीमेंट करना चाहते हैं, तो उन्होंने पास बिठाकर जो मुझे गाइड किया, वह दि बेस्ट था। उन्होंने बहोत अच्छे तरीकेसे मुझे प्रॉपर गाइड किया।
Dancing Uncle: बचपन में बगैर ट्रेनिंग के जीती थी पहली बड़ी कम्पीटिशन
मैं सात या आठ वर्ष का था, तब से ही डान्स कर रहा हूँ। मेरी माँ को शास्त्रीय नृत्य आता था और वे बच्चोंको डान्स निःशुल्क पढ़ाती थीं। मैं देखता रहता था। उनको पूछता भी था कि , -‘मम्मी, ये क्या है।’ मेरे बड़े भाई प्रदीप श्रीवास्तव अमिताभ बच्चन जी जैसे हू -ब -हू डान्स के लिए जाने जाते थे। देखते देखते मुझे पता ही नहीं चला कब मेरी दिलचस्पी भी बढ़ती गई और मैं भी अकेले में डांस करने लगा। तब विदिशा में एक एम पी डांस कम्पीटिशन होनी थी। वहाँ मैं भी जाने का मन बना चुका था। बड़े भाई ने भी स्वयं न जाकर मुझे जाने के लिए कह दिया। और उस वर्ष वह डांस प्रतियोगिता मैं जीत गया। लोगोंने जाकर मम्मी को बताया, तो मम्मी ने कहा, -‘ये कैसे हो गया, उसे तो डांस आता ही नहीं था। वह कहांसे करने लगा?’ कॉलोनीवाले मुझे कंधे पर बिठाकर घर ले आये। तब मम्मी ने कहा -‘अच्छा, वाह !’ इस तरह हम सात आठ वर्ष की आयु में पहलीबार डांस से कुछ मशहूर हुए।
मैंने किसीसे डान्स की शिक्षा नहीं ली। तब लेजेंड ऑफ़ डांसिंग श्री मिथुन चक्रवर्ती का बोलबाला था। हम उनकी डांस मुव्हज देखने समझने के लिए एक ही फिल्म कई बार देखते। टॉकीज में एक ही फिल्म चार शोज देखने जाया करता था। मेरे बड़े भाई मुझे डब्बू कहते थे। फिर घर में और बाहर भी मुझे मेरे निकनेम ‘डब्बू’ से लोग जानने लगे थे, उन सब का प्यार था। टॉकीज वालेभी जानते थे सो फिल्म देखने देते थे, मुझे बढ़ावा देते थे । मिथुन दा की ‘डिस्को डांसर’ आई तो उसे भी मैंने चार शोज में देख ली। धीरे धीरे मैं डांस के सिलसिलेमें इंदौर, भोपाल भी जाने लगा। तब इन बातोंको ज्यादा बढ़ावा नहीं दिया जाता था। सौभाग्य से मेरे माता पिता ऐसे थे कि उन्होंने रोका नहीं। जो मन में आये करने दिया। मैंने जिला स्तरपर क्रिकेट खेला है । सारे गेम्स खेला करता था। पढाई में भी ठीक था, मैंने नागपुरसे इंजीनियरिंग की शिक्षा पूरी की।
उस दौरान नागपुरके धनवटे, देशपांडे इन हॉल्स में भी मैं परफॉर्म कर चुका था। वहाँ भी मुझे डब्बू इस नामसे और मेरी डान्सिंग के चलते लोग जानते थे। वहाँ ‘मेलडी मेकर्स ग्रुप’ के साथ परफॉर्म कर चुका था। उन दिनों ना तो टू हंड्रेड प्लस टी व्ही चॅनेल्स थे और ना ही सोशल मिडिया थी। कलाकारों के लिए प्लेटफॉर्म्स काफी कम थे और बेहद सीमित अवसर थे। यही सोच थी कि जो कुछ करना है तो बस मुंबई जाकर ही कर सकते हो। लोगोंके सामने सीधे परफॉर्म करनेमें काफी तारीफें मिलती थीं। वह सम्मान का अहसास मिलता था।
Dancing Uncle: जब डान्स ने बचाया ‘रैगिंग’ से !
कॉलेज में उन दिनों खूब रैगिंग चलती थी। सीनियर्स अपने कॉलेज में ज्युनिअर्स की खूब रैगिंग लेते थे। अब तो इस पर रोक लगा दी गई है। लेकिन, हमारे समय ये काफी बड़ी समस्या थी । जब मुझे रैगिंग के दौरान पूछा गया कि, ‘आप क्या करते हैं ?’ तो मैंने जवाब दिया, -‘सर, थोड़ा बहुत डान्स कर लेता हूँ। ‘ मुझे डान्स के लिए कहा गया। मैंने की।
इस तरह मेरी रैगिंग सिर्फ एक ही बार हुई और मैंने जैसे ही डान्स किया, मैं नागपुर में भी सबका चहेता बन गया। फिर कभी मेरी रैगिंग नहीं हुई। और तो और, किसीभी डांस कम्पीटिशन में फिर कॉलेज की ओरसे मैं ही जाया करता था।
उस समय गोविंदा जी फिल्म इंडस्ट्री में आ चुके थे। मेरा चेहरा, मेरी कद काठी और हेयर स्टाईल देखकर लोग कहते आप पर उनके गाने सूट करते हैं। मेरे कॉलेज के प्रिंसिपल और एच ओ डी भी कहते थे कि, ‘तूने गलत लाइन चुन ली, तुझे फिल्मोंमे होना था।’ लेकिन उन दिनों डिग्री पढ़ाई पूरी करना मेरी प्राथमिकता थी। उन दिनों इतने प्लेटफॉर्म्स नहीं थे। मुंबई में काफी स्ट्रगल करना होता था। और हम तो मध्यम वर्गीय परिवारसे थे। पहले डिग्री फिर जॉब यह तय था। डिग्री के बाद मैंने कुछ दिन पूना में जॉब किया। ड्रामा में हिस्सा लेने लगा। वहाँ एक ड्रामे के मंचन के दौरान मेरा पैर टूट गया। सेट के फर्स्ट फ्लोअर से गिर गया था। हालाकि, मैं बड़ा एक्साइटेड था क्योंकि जजमेंट के लिए नसीरुद्दीन शाह आए थे। लेकिन वापिस विदिशा आना पड़ा। भोपाल में भाभा युनिवर्सिटी में टिचिंग जॉब शुरू किया। यहाँ ऐन्युअल फंक्शन का आयोजन मेरे पास ही रहता था। ..और अंतिम दिन मेरा डान्स तय होता था। बच्चे लोग करवाते थे। आज भी मैं यहीं हूँ।
शादी जब तय हुई तो मैंने होनेवाली पत्नी जी से उल्टा ही कह दिया था कि न मुझे संगीत का शौक है न बाहर घूमने फिरने का शौक है और न खाने का शौक है । क्योंकि मेरे फ्रेंड सर्किल में मेरी सबसे आखिर में शादी हुयी थी, तो मुझे पता था कि, क्या बात करनी है, शादी के पहले। मानो सादा जीवन उच्च विचार वाला मामला है। लेकिन जब वो यहां आईं तो उन्होंने सारा म्यूजिक सेट अप देखा, शौक देखा, यह भी देखा कि मैं फ्री रहूँ तो मुझे गाने सुनते रहने का शौक है।
मेरे और मेरे बड़े भाई के टोटल चार बच्चे हैं जिनके साथ सन्डे के दिन मैं खूब एन्जॉय करता रहा। खूब डान्स करना चलता रहा। ईश्वर ने देखा, कि ये आदमी खूब भक्ति करता है तो उन्होंने एक मैजिक चलाया जिसका हश्र आपके सामने है।
सोशल मिडिया की ताक़त
मैं मुंबई शिफ्ट न हो सका तो मेरा लॉस हुआ यह सच है। किन्तु, मुझे इसका कोई मलाल नहीं है। मैंने सोच समझकर निर्णय लिया था। ईश्वर को जो देना है वह देता है। कोरोना आने के पूर्वतक मेरे प्रती माह तीन या चार इवेंट्स होते ही थे। कोरोना के चलते पापा मुझे परमिट नहीं कर रहे थे। लगभग सत्रह विज्ञापन फ़िल्में कर चुका हूँ। दो मूवीज हो गईं। जॉन अब्राहम जी के साथ ‘बाटला हॉउस’ के एक गाने में था और ऋचा चड्ढ़ा जी के साथ ‘पंगा’ में था। अभी एक दो और मूवीज आनी हैं। चार टी व्ही शोज हो चुके हैं। अभी एक रेग्युलर सीरियल की बात शुरू है जो नियमित तौरपर आएगा। वो इस तरह प्लान कर रहे हैं कि मैं भोपाल और मुंबई बराबर मैनेज कर सकूं। पहले की तरह फैन मेल भी जारी है। कोरोना के समय थोड़ा कम हुआ। लेकिन, लोगों में उस गाने के लिए प्यार अभी भी ठीक वैसे ही है । मैं मेरठ में शो कर रहा था। वह गाना ‘आप के आ जानेसे..’ जैसे ही बजता है, पब्लिक में हलचल मच जाती है। जिस चीज से आप हिट होते हो, वह आपके लिए ख़त्म नहीं होती। मेरी कोशिश होती है, कि मैं दूसरे गाने भी करूं। लेकिन, ऐसा होता नहीं । लोग आखिर में कहते हैं, कि ‘बाकी सब तो हो गया लेकिन अब वो गाना भी हो जाए। उसके बगैर कैसे हो पाएगा ?’ फिर जैसे ही वह गाना बजने लगता है, लोगोंका प्यार, जूनून चरम पर होता है।
Dancing Uncle: सोशल मिडिया से ओव्हर नाइट सेंसेशन और सेलेब्रिटी तक।
मेरे लिए यह ईश्वर और माता पिता का आशीष है। सोशल मिडिया की शक्ति की बात करें तो वह असीम है। धरती पर उस से बड़ी ताकत नहीं है। हालांकि, सोशल मिडिया का बुरा पक्ष भी है। तथ्यहीन बातें पोस्ट होती हैं। किन्तु उसका अच्छा पक्ष बेहतरीन चमत्कार वाला है। कलाकार के लिए यह बहोत बड़ा मंच है जो पहले नहीं था। कलाकार के लिए ये किसी आशीर्वाद से कम नहीं। यदि टैलेंट और मेहनत है तो सोशल मिडिया की जरिये ईश्वर आपको शीघ्र फल देंगे। मेरे लिए तो ईश्वर ने सोशल मिडिया के जरिये एक रात में सब कुछ दे दिया । इतना, जो शायद पच्चीस वर्ष पूर्व स्ट्रगल करके भी न पाता। मेरे दस पंद्रह वर्ष तो स्ट्रगल में निकल जाते । काश पच्चीस वर्ष पूर्व सोशल मिडिया होता तो मैं उन तमाम ऑफर्स और एग्रीमेंट्स को इंकार नहीं करता। लेकिन, आज उम्र की सीमाएं हैं।
मैंने ‘भाभीजी घर पर हैं’ और ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ के कलाकारोंके साथ शोज किये हैं। सभी मुझसे बड़े कलाकार हैं। मुझे मार्गदर्शन करते हैं। बताते हैं, क्या करें – क्या ना करें। लेकिन, मैं किसी भी फैन को सेल्फी या ऑटोग्राफ के लिए इंकार नहीं करता। उन चाहनेवालोंकी बदौलत मैं यहां पहुँच पाया हूँ।
तनाव मुक्ति केलिए डब्बू अंकल की कारगर सलाह !
सोशल मिडिया का अच्छी तरहसे उपयोग करें। ये बहोत बड़ी चीज है। आपको सब कुछ दे सकती है। नेगटिव इस्तेमाल न करें। एक बात और। आज की जनरेशन थोड़ी सी बात पर नर्वस हो जाती है। छोटी सी वजहसे ख़ुदकुशी की बात सोचने लगती है। हमारे जमाने में डिप्रेशन का नाम नहीं था। आज पेपर में मार्क कम आए तो लोग गलत कदम उठा लेते हैं, जिसका परिणाम माँ बाप को भुगतना होता है। डिप्रेशन को दूर रखने के लिए कोई खेल, कोई कला या कोई गीत संगीत का शौक पाल लो। ये बातें बुरे समय में काम आती हैं। आप जमीन का काम करें तो स्ट्रेस कम होगा। आप अच्छा संगीत सुनें तो रिलैक्स होंगे। एज्युकेशन को, अपने करिअर को गंभीरता से अवश्य लें लेकिन साथ में कोई खेल, कला या गीत संगीत की हॉबी भी रखें।