FACT CHECK: फेक न्यूज क्यों दी जाती हैं?
'इण्डिया इनपुट' एडिटर डॉ. नम्रता मिश्रा तिवारी द्वारा विशेष लेखमाला 'विमर्श की दुनिया' का प्रथम भाग।
FACT CHECK करेंगे हम, आपको सतर्क, सजग और सावधान करने। हमारी फैक्ट चेकिंग होगी आपको जानकार बनाने, आपको आगे रखने! क्योंकि, आज जानकारी या खबरें पानें तथा अपना मत बनाने हेतु इंटरनेट तथा सोशल मिडिया पर हमारी निर्भरता कई गुना बढ़ चुकी है। ऐसे में फैक्ट चेकिंग अर्थात सत्यता की पड़ताल इस विषय पर आपको सतर्क, सजग एवं सावधान कराने यह विशेष लेखमाला। प्रस्तुतकर्ता लेखिका http://www.indiainput.com एडिटर एवं रिसर्चर डॉ. नम्रता मिश्र तिवारी पॉलिटिकल सायंस तथा मास कम्युनिकेशन्स में पी एच डी हैं । पढ़िए, सच को उजागर करने विशेष लेखमाला ‘विमर्श की दुनिया’ का प्रथम भाग।
हाल ही की बात है। एक यूट्यूब चैनल पर वीडियो का पोस्टर, जिसे थंब नेल भी कहते हैं, चौंकाने वाला दिखाई दिया था। लिखा था “40 जिलों में फसलें होंगी बर्बाद, 21 राज्यों पर खतरा, घर से बाहर न निकलें, भयंकर बारिश तूफान, ओले गिरे।” इसी यूटयूब चैनल पर खबर भी वैसी ही चलाई गई! हालाकि यह फेक न्यूज अर्थात मिथ्या खबर थी।
वस्तुस्थिति ये थी, कि ऐसी कोई भी चेतावनी मौसम विभाग ने जारी नहीं की थी और ना ही कोई निर्देश जारी किए थे। तूफान नहीं आया था,आनेवाला भी नहीं था। ओले भी नहीं गिरे थे। अतः, यह दावा फर्जी था, पूरी खबर बिलकुल बेबुनियाद और झूठी थी।
फिर, इस तरह मिथ्या वार्ता प्रसृत करने के पीछे क्या मंतव्य रहा होगा? प्रायः इस तरह की मिथ्या खबरें क्यों दी जाती हैं? ये बात भी सब जानते हैं मुख्यतः इस तरह की खबरें लोगोंका ध्यान आकर्षित कर अपने सोशल। मिडिया चैनल पर व्यूज, लाइक्स और सबस्क्राइबर्स बढ़ाने की मनीषा से दी जाती हैं।
जानकारी के लिए बता दूं, कि इस यूट्यूब चैनल का 2 लाख 41 हजार से अधिक सब्सक्राइबर बेस है। किंतु, कुछ मामले स्पष्ट करते हैं कि ऐसे कुछ चैनल कभी कभी अत्यंत झूठी, भ्रामक खबरें प्रसारित करते हैं। इसी चैनल ने इसी वर्ष एक और फेक न्यूज दी थी। “27 जनवरी को आएगा भयंकर तूफान, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट, चेतावनी जारी, 16 राज्यों के लिए रेड अलर्ट जारी” इस तरह की इस खबर की थंब नेल में 99 साल का रिकॉर्ड टूटेगा – ऐसी स्पष्ट चेतावनी भी छापी थी। ये भी कहा गया कि 50 हजार लोगों अपनी जानें गंवा दी। इसी वर्ष 9 फरवरी को इसी चैनल के अन्य एक वीडियो में कहा गया कि “180 की स्पीड से आ रहा है एक भयंकर तूफान। 80 साल का रिकॉर्ड टूटेगा। 11 राज्यों में भारी बारिश तबाही, लिस्ट जारी।” यह भी खबर निराधार तथा तथ्यहीन थी।
लेकिन, मूल सवाल तो रह जाता है कि इस तरह की मिथ्या अथवा फेक न्यूज देते रहने के पीछे क्या कोई अन्य उद्देश भी हो सकता है?
एक उदाहरण देखते हैं। एक अन्य यूटयूब चैनल ने जिसके 2 लाख 67 हजार सब्सक्राइबर्स हैं, ने एक खबर दी जिसमें कहा गया, “ चुनाव आयोग ने धांधली के सबूत मिटाने ई वी एम मशीनें जला दी।”
इस वीडियो के थंब नेल पर स्पष्ट तौर पर लिखा था, “अभी अभी की बड़ी खबर, पकड़ी गई चुनाव आयोग की धांधली, सबूत मिटाने EVM जलाया।”
अर्थात, यह खबर भी भ्रम फैलाने वाली फेक न्यूज थी।
इसी चैनल पर एक और न्यूज में कहा गया, “लोकसभा चुनावों से पहले CJI ने किया EVM ka भंडाफोड़। बुरी फंसी भाजपा।”
इस खबर में कहा गया कि “आगामी लोकसभा चुनावों के लिए ईवीएम पर बैन लगा दिया गया है।”
इसी चैनल के एक अन्य वीडियो में ये दावा किया जा रहा है कि “सर्वोच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायमूर्ति के आदेश पर हरियाणा में फिर से चुनाव कराए जाएंगे।”
इसी खबर में इस ‘घटना’ को विपक्ष की बड़ी जीत बताया गया है।
और तो और, इस खबर की थंब नेल में लिखा गया है, “बेकाबू हुए CJI, जारी किए एतिहासिक आदेश।” इसी थंब नेल में मुख्य न्यायमूर्ति के नाम के साथ भी छेड़छाड़ कर उन्हे चंद्रचूड़ के स्थान पर चंद्रचूर्ण कहा गया है। जाहीर है, ये सभी बातें आक्षेपार्ह हैं।
इन उदाहरणों से सब कुछ साफ हो जाता है। यह वर्ष भारत का चुनावी वर्ष है। विश्व भर की निगाहें सबसे बड़े लोकतंत्र में होनेवाले चुनावों पर टिकीं हैं। ऐसे में देश में अशांति मचाने चा रही भारत विरोधी शक्तियों द्वारा यहां के मतदाताओं में संभ्रम, अनिश्चितता, भय तथा आशंका फैलाने के उद्देश से प्रयास हो सकता है। इस से पुनः साबित होता है कि भारत के लोकतंत्र के मूल पर कुठाराघात करने के ऐसे प्रयास इंटरनेट और सोशल मिडिया के इस्तेमाल से किए जा सकते हैं। यह काम अधिक से अधिक सबस्क्राइबर्स वाले हैंडल्स द्वारा आसानी से अधिकतर लोगों तक पहुंचकर किए जाने का उद्देश हो सकता है।
अर्थात प्रेस इन्फोर्मेशन ब्यूरो (पी आई बी) के संज्ञान में ये मामले लाए गए तो उन्होंने फेक न्यूज अलर्ट जारी किया। किंतु, यह सजग जिम्मेदार तथा देशभक्त नागरिकों का कर्तव्य है, कि ऐसे संवेदनशील मामलों को सामान्य जनता तक पहुंचाया जाए। सोशल मीडिया पर आई हर खबर को स्वीकार करने से पहले उसकी तथ्यात्मक वास्तविकता जान लेनी बेहद आवश्यक है।
(featured image created by using : http://www.canva.com)
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