FACT CHECK जरूरी है, FAKE NEWS की बाढ़ आई है।
विमर्श की दुनिया 2. चुनावी वर्ष में भ्रामक विमर्श एवम् फेक न्यूज के बढ़ते चलन पर एक नजर एडिटर डॉ. नम्रता मिश्रा तिवारी द्वारा..
FACT CHECKआपको सतर्क, सजग और सावधान करने। हमारी फैक्ट चेकिंग है आपको जानकार बनाने, आपको आगे रखने! क्योंकि, आज जानकारी या खबरें पानें तथा अपना मत बनाने हेतु इंटरनेट तथा सोशल मिडिया पर निर्भरता कई गुना बढ़ चुकी है। ऐसे में फैक्ट चेकिंग अर्थात सत्यता की पड़ताल इस विषय पर आपको सतर्क, सजग एवं सावधान कराने प्रस्तुत है ,यह विशेष लेखमाला। प्रस्तुतकर्ता लेखिका http://www.indiainput.com एडिटर एवं रिसर्चर डॉ. नम्रता मिश्र तिवारी पॉलिटिकल सायंस तथा मास कम्युनिकेशन्स में पी एच डी हैं । पढ़िए, सच को उजागर करने विशेष लेखमाला ‘विमर्श की दुनिया’ का दूसरा भाग।
हाल ही में ब्रिटन के हाऊस ऑफ कॉमन्स में बीबीसी की राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की खबर और कवरेज को पक्षपाती, भेदभावपूर्ण तथा भड़काऊ बताया गया तथा ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन की निष्पक्षता पर बहस की मांग की गई। कंजर्वेटिव सांसद बॉब ब्लैकमैन ने सदन में बी बी सी की राम मंदिर कवरेज की पोल खोल दी जब उन्होंने बताया कि प्रस्तुत कवरेज में बी बी सी ने मंदिर को मस्जिद के विनाश स्थल पर बना हुआ बताया किंतु यह बताया ही नहीं कि वहां दो हजार वर्षों से भी अधिक समय पहले तक एक मंदिर हुआ करता था। और BBC ने यह बात भी बताई नहीं, कि अयोध्या में ही अन्य एक पांच एकड़ भूमि मस्जिद निर्माण हेतु आवंटित की गई है।
जाहिर है, कुछ विदेशी मीडिया समूह द्वारा भ्रामकता से पूर्ण एवम् तथ्य को छिपाने वाली खबरें प्रसारित करने का यह पहला उदाहरण नहीं है। लेकिन, इस कार्य में भारत की भूमि से भी कुछ मिडिया खबरों अथवा कवरेज द्वारा यही प्रयास होता देखा गया है। खास ध्यान देने वाली बात यह है, कि इस चुनावी वर्ष में भारत के कुछ सोशल मीडिया हैंडल, खबरिया वेबसाईट्स तथा न्यूज पोर्टल्स भी इस काम में अग्रसर होते दिखाई देते हैं।
दी वायर नामक पोर्टल द्वारा हाल ही में ये दावा किया गया था कि अमरीका ने भारत को 3 बिलियन डॉलर मूल्य की ड्रोन बिक्री वाली डील रोक दी है। वायर की खबर में दावा किया गया था कि ऐसा तब तक रहेगा जब तक कनाडा में एक आतंकी की कथित हत्या की साजिश पर जांच पूरी नहीं होती। इस खबर को भारतीय मिडिया में कुछ जगह से और भी उछाला गया।
किंतु, मजे की बात ये कि इस खबर के बाहर आते ही कुछ ही समय में पता चला कि US ke स्टेट डिपार्टमेंट ने 31 MQ-9B Sky Guardian drones के भारत को प्रस्तावित बिक्री को मंजूरी दे दी है। इस से साफ हो गया, कि वायर की खबर कोरी कल्पना की उड़ान थी और शायद उसका मकसद भारत तथा विदेश में भारत सरकार की मानहानि या बदनामी करना था।
FACT CHECK क्यों है जरूरी?
इन दिनों लगता है, सोशल मीडिया का इस्तेमाल चुनावी हथियार के रूप में किया जा रहा है। एक नजर डालेंगे तो कई Fake News की बाढ़ सी दिखाई देगी। हम इस लेखांक में उदाहरण के तौरपर इनमें से कुछ पर सरसरी निगाह डालते हैं।
हाल ही में यूट्यूब चैनल ‘Government Gyan’ पर कुछ ऐसे विडियोज पाए गए हैं जिन में भारत की केंद्र सरकार की योजना बता कर गलत जानकारी दी गई है। एक वीडियो में केंद्र सरकार द्वारा एक परिवार एक नौकरी योजना शुरू किए जाने का दावा किया गया है और इसके तहत विभिन्न पदों के लिए भरती प्रक्रिया शुरू होने का दावा किया गया है। ये दोनों बातें फर्जी हैं।
इसी यूट्यूब चैनल पर भारत सरकार द्वारा बेटियों के बैंक खातों में 5 हजार रुपए दिए जाने का दावा किया गया है। कभी इस योजना का नाम प्रधान मंत्री लाडली लक्ष्मी योजना बताया गया है और कहीं इसका नाम प्रधानमंत्री कन्या आशीर्वाद योजना होने का दावा भी किया गया है।
ये पूरी fake news है, अर्थात रुपए दिए जाने और योजना का नाम तथा दावा तीनों दावे गलत हैं। सनद रहे, कि लाडली लक्ष्मी योजना मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार की है और केंद्र की सरकार नहीं।
जैसा कि सर्व विदित है, वर्ष 2024 यह लोकसभा का चुनावी वर्ष है, जाहिर है इस तरह के गलत दावे वाली fake news अर्थात झूठी खबरें आ रहीं हैं और अभी आने की आशंका है।
इसी तरह इनकम टॅक्स नोटिस और एमएसएमई कानून के प्रावधानों के संबंध में भ्रामक जानकारी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। अतः, ऐसी किसी जानकारी को सत्यापित या वेरिफाई किए बगैर उस पर विश्वास रखना समझदारी नहीं है। प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो अर्थात PIB फैक्ट चेकिंग हेतु स्थापित अपने हैंडल्स से fake news का पर्दाफाश करता रहता है। उचित सत्यापन हेतु, उसपर भी नजर रख सकते हैं।
विश्व के सबसे बड़े लोकतन्त्र भारत में जब भी अगली लोकसभा के लिए आम चुनाव होते हैं, समूचे विश्व की नजरें हमारे देश पर होती हैं। और यह स्वाभाविक रूप से ठीक भी है। वैसे भी विश्व में जो भारत विरोधी ताकतें हैं, जब संभव हो भारत की बदनामी करवाने के उद्देश्य से तथ्योंको पूर्ण या आंशिक रूप से छिपाकर भ्रामक खबरें चयनित मीडिया द्वारा प्रसारित किया करती है। लेकिन, इस चुनावी वर्ष में मतदाताओेंं के बीच संभ्रम, आशंका और डर का वातावरण बनाने के प्रयास सफल न हों इसका दायित्व सब पर है।
(featured image created by using : http://www.canva.com)
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