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NEP: 22 भाषाओं में मिलेगा हर विषय का स्टडी मटेरियल।

अगले 3 वर्षों में आप अपनी मनपसंद भारतीय भाषा में किसी भी विषय का अध्ययन कर सकेंगे।

NEPNEP अर्थात नई शिक्षा निती में बहु भाषायी शिक्षा पर जोर दिया गया है।

इसी के चलते अगले तीन वर्षों में 22 भारतीय भाषाओं में सभी कोर्स (पाठ्यक्रम) के लिए स्टडी मटेरियल (शिक्षा सामग्री) उपलब्ध होंगे।

मतलब, आप आपकी मनपसंद भारतीय भाषा में आपका मनपसंद विषय पढ़ सकेंगे। 

http://www.nuutan.com के विशेषज्ञ लेखकों ने इस अच्छी खबर पर जो बताया, पढ़िए – 

 

भारत सरकार ने स्कूलों और हायर एजुकेशन रेगुलेटर्स को आदेश दिया है कि वे अगले तीन साल में संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल भारतीय भाषाओं में सभी कोर्स के लिए स्टडी मटेरियल तैयार करें। ये 22 भाषाएं असमिया, बांगाली, गुजरती, हिंदी, कन्नड, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, सांस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगू, उर्दू, बोडो, सांथाली, मैथिली और डोंगरी हैं।

यूजीसी, एआईसीटीई, एनसीईआरटी, एनआईओएस, इग्नू और आईआईटी, केंद्रीय यूनिवर्सिटी और एनआईटी जैसे संस्थानों को इस दिशा में काम करना होगा। यूजीसी, एआईसीटीई और स्कूल शिक्षा विभाग को राज्य के स्कूलों और यूनिवर्सिटीज के लिए भी इस काम को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया गया है।

ये फैसला नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के अनुरूप है, जिसका लक्ष्य सभी स्तरों पर शिक्षा में बहुभाषीवाद को बढ़ावा देना है ताकि छात्रों को अपनी मातृभाषा में पढ़ने और बेहतर सीखने का मौका मिले।

 

ये फैसला क्यों महत्वपूर्ण है?

NEP

सेंट्रल स्टैटिस्टिकल ऑफिस 2017 के एक स्टडी के अनुसार, भारत में केवल 13.4% छात्र अपने प्राथमिक शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी चुनते हैं; शेष 86.6% अन्य भाषाओं में शिक्षा प्राप्त करते हैं, जिनमें से अधिकांश हिंदी सहित अन्य भारतीय भाषाएं हैं।

 

यूनेस्को की एक रिपोर्ट के अनुसार, अंग्रेजी माध्यम पर निर्भरता ग्रामीण और वंचित समुदायों के छात्रों के लिए शैक्षिक असमानता को बढ़ाती है; मातृभाषा में शिक्षा इस गैप को कम करने और शिक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

 

अमेरिकन एजुकेशनल रिसर्च जर्नल द्वारा प्रकाशित ये रिसर्च आर्टिकल के अनुसार, मातृभाषा में पढ़ने वाले छात्रों का लैंग्वेज, मैथ, और साइंस में ज्ञान अंग्रेजी माध्यम के छात्रों की तुलना में बेहतर विकास हुआ। ग्लोबल पावर टेक्नोलॉजी कंपनी ‘कम्मिंस’ के एक स्टडी के अनुसार, मातृभाषा में शिक्षा से बेहतर समझ मिलती है साथ ही याद भी ज्यादा रहता है, जिससे छात्रों के प्रदर्शन में सुधार होता है।

 

क्या चुनौती हैं?

 

22 भारतीय भाषाओं में सभी विषयों के लिए उच्च गुणवत्ता का स्टडी मटेरियल तैयार करना एक बड़ी चुनौती होगी। योग्य शिक्षकों और लेखकों की कमी, विशेष रूप से कम प्रचलित भाषाओं के लिए, स्टडी मटेरियल के विकास में बाधा डाल सकती है।

 

ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में तकनीकी बुनियादी ढांचे की कमी इस फैसले के लाभों को सीमित कर सकती है। ऑनलाइन स्टडी मटेरियल और डिजिटल उपकरणों तक सभी छात्रों की समान पहुंच सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।

 

शिक्षकों को मातृभाषा शिक्षण पद्धतियों में प्रशिक्षण देना आवश्यक होगा। उन्हे प्रभावी तरीकों से छात्रों को उनकी मातृभाषा में सीखने में सक्षम बनाना होगा।

content courtesy: http://www.nuutan.com

images: http://pexels.com

 

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