Urban life: शहर कैसे बेहतर बन सकते हैं, बच्चों के लिए ?
शहरी जीवन का छोटे बच्चों के विकास पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
यूनाइटेड नेशन्स द्वारा प्रकाशित एक डेटा-बुकलेट के मुताबिक, 2030 तक, दुनिया की लगभग,
(1) 60 फीसदी आबादी शहरों में रहने लगेगी।
(2) 706 शहरों में कम-से-कम 10 लाख लोग रहेंगे।
(3) 10-50 लाख आबादी वाले शहरों की संख्या 597 हो जाएगी।
(4) 1 करोड़ से ज़्यादा आबादी वाले शहरों की संख्या 10 हो जाएगी।
(5) 28% लोग कम-से-कम 10 लाख की आबादी वाले शहरों में रहेंगे।
यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी, सिडनी में हुए एक नए अध्ययन ने प्रकाश डाला है कि जन्म से लेकर पांच साल की उम्र तक के शुरुआती 2000 दिनों में शहरी वातावरण का बच्चों के विकास पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। यह अध्ययन 41 देशों में प्रकाशित हुए 235 आर्टिकल के निष्कर्षों को एकत्र करके किया गया है। यह अध्ययन दिसंबर 2023 में ऑस्ट्रेलिया के प्रसिद्ध जर्नल ‘पब्लिक हेल्थ एंड रिसर्च प्रैक्टिस’ में प्रकाशित हुआ है।
बचपन में शहर के वातावरण के कई पहलू, जैसे हवा का प्रदूषण, अधिक शोर, अधिक भीड़ और कम हरियाली, बच्चों के विकास को प्रभावित कर सकते हैं।
इस शोध से यह स्पष्ट है कि बच्चों के लिए अनुकूल शहर बनाना कितना महत्वपूर्ण है। अध्ययन अधिक हरियाली, कम शोर और बेहतर पड़ोस और मोहल्ले की सिफारिश करता है ताकि बच्चों का विकास स्वस्थ रूप से हो सके।
जन्म से लेकर पांच साल की उम्र तक के शुरुआती 2000 दिन बच्चों के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को जीवन भर प्रभावित करते हैं। शहरी जीवन के स्वास्थ्य जोखिमों को समझकर ऐसे शहर बनाने का प्रयास करना होगा जो बच्चों के लिए बेहतर हों और उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
शहर में बच्चों के विकास पर प्रभाव डालने वाले महत्वपूर्ण पहलू
(1) वायु प्रदूषण बच्चों के विकास को प्रभावित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक है। गाड़ियों और उद्योगों से निकलने वाले हानिकारक कण और गैसें बच्चों के फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकती हैं, जिससे सांस लेने में तकलीफ, अस्थमा और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। वायु प्रदूषण बच्चों के मस्तिष्क के विकास को भी प्रभावित कर सकता है। शोध से पता चला है कि वायु प्रदूषण से बच्चों में सीखने, याददाश्त और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है।
(2) कई शहरों में हरियाली, खुले मैदानों और पानी की कमी एक बड़ी चिंता का विषय है। पार्कों, बगीचों और प्राकृतिक वातावरण तक पहुंच न होने से छोटे बच्चों को महत्वपूर्ण अनुभव और अवसर नहीं मिल पाते हैं, जिससे उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर असर पड़ता है। बच्चों और किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के बढ़ते मामलों को देखते हुए, शोधकर्ताओं ने इस बात पर भी प्रकाश डाला है कि शहरों के डिजाइन के पहलुओं, जैसे हरियाली तक पहुंच, को बेहतर ढंग से समझने की आवश्यकता है, जो मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकते हैं।
(3) शहर में रहने वाले परिवारों के लिए सामाजिक अलगाव और समुदाय समर्थन की कमी भी बड़ी चुनौतियां हैं। शहर की व्यस्त जीवनशैली के कारण माता-पिता अक्सर खुद को अकेला और बोझिल महसूस करते हैं, जिससे शिशुओं के स्वस्थ विकास के लिए आवश्यक समर्थन नेटवर्क की कमी रह जाती है। शहर के डिजाइनरों और नीति निर्माताओं को इस बात को समझने की आवश्यकता है कि रोज़मर्रा का शहरी वातावरण स्वास्थ्य और खुशहाली की नींव रखता है।
शहर, बच्चों के लिए बेहतर कैसे बन सकते हैं?
(1) बच्चों के लिए अनुकूल शहर बनाने के लिए, हम बच्चों के अनुकूल डिजाइन, ज़्यादा हरियाली, कम शोर और प्रदूषण, और पैदल चलने लायक मोहल्ले बनाने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
(2) तकनीक के नए आविष्कार भी शहरी वातावरण को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। शोर कम करने वाली सामग्री, हवा को साफ करने वाले सिस्टम और शहरों को डिजाइन करने के नए तरीके खोजे जा रहे हैं। ये सब चीजें शहरों को रहने और काम करने के लिए और भी बेहतर बना सकती हैं।
(3) बच्चों के अच्छे पालन-पोषण के लिए शहरों में और ज़्यादा रिसर्च, समझदारी के नियम बनाने की कोशिश, और सब मिलकर काम करना ज़रूरी है।
(article in arrangement with http://www.nuutan.com)
(all images: pexels.com)
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