पान के पत्ते : आयुर्वेद का ‘हरा सोना’ और इसके स्वास्थ्य लाभ।भारतीय परंपरा में पान को केवल एक माउथ फ्रेशनर के रूप में देखा जाता है, लेकिन आयुर्वेद में इसे हरा सोना कहा गया है। सदियों से पान के पत्तों का उपयोग विभिन्न चिकित्सा उपचारों में किया जाता रहा है। यदि इसे बिना तंबाकू, कत्था और अधिक चूने के साधारण रूप में खाया जाए, तो यह शरीर के लिए एक शक्तिशाली औषधि की तरह काम करता है। इसमें विटामिन सी, थायमिन, नियासिन और कैल्शियम जैसे पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
द्वारा – डॉ नम्रता मिश्रा तिवारी मुख्य संपादक http://indiainput.com
पाचन में सहायक पान का सबसे प्रमुख लाभ पाचन तंत्र को मिलता है। इसे चबाने से लार ग्रंथियां सक्रिय होती हैं, जिससे भोजन को तोड़ने में आसानी होती है। यह पेट की अम्लता (acidity) को कम करता है और चयापचय (metabolism) को बढ़ाता है। कब्ज और गैस की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए भोजन के बाद एक सादा पान खाना बेहद फायदेमंद होता ह
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मुंह की सेहत और अन्य लाभ पान के पत्तों में शक्तिशाली एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं। यह मुंह के हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म कर मसूड़ों की सूजन और दांतों की सड़न को रोकता है। इसके अलावा, शोध बताते हैं कि पान के पत्तों में एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं जो ब्लड शुगर लेवल को संतुलित रखने में मदद करते हैं। सर्दी-खांसी होने पर पान के पत्ते का रस शहद के साथ लेने से श्वसन मार्ग साफ होता है और तुरंत राहत मिलती है।
पान के औषधीय उपयोग की सरल विधियाँ:
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खांसी और श्वसन समस्याओं के लिए (काढ़ा): 2-3 ताजे पान के पत्तों को 1 गिलास पानी में तब तक उबालें जब तक पानी आधा न रह जाए। इस काढ़े को छानकर थोड़ा शहद मिलाकर दिन में 2 बार पिएं। यह जमे हुए कफ को निकालने और गले की खराश दूर करने में बहुत प्रभावी है।
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पाचन और भूख बढ़ाने के लिए: भोजन के बाद एक ताजे पान के पत्ते पर 1 छोटी इलायची और थोड़ी सी अजवाइन रखकर चबाएं। यह विधि पाचन एंजाइम्स को सक्रिय करती है, जिससे भारी भोजन भी आसानी से पच जाता है।
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मसूड़ों की सूजन और दुर्गंध के लिए: पान के पत्तों को साफ पानी में उबालकर उस पानी से गरारे करें। इसके एंटी-बैक्टीरियल गुण मुंह के छालों और सांसों की बदबू को तुरंत कम करते हैं।
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सिरदर्द और सूजन के लिए (लेप): पान के पत्तों को पीसकर पेस्ट बना लें। इसे माथे पर लगाने से तनाव और गर्मी वाले सिरदर्द में राहत मिलती है।
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